न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। बहुत जल्द आपकी जेब में एक रुपये का नोट आने वाला है। केंद्र सरकार एक रुपये के नए नोट को सुरक्षा फीचर के साथ जल्द बाजार में पेश करने वाली है। 7 फरवरी की एक अधिसूचना में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय इसकी छपाई करने की तैयारी में है।
एक रुपये के नोट को छापने की लागत 1.14 रुपये बैठती है। दिलचस्प बात यह है कि इन नोटों में आरबीआई गवर्नर नही बल्कि वित्त सचिव हस्ताक्षर करते हैं, यह परंपरा पहले नोट से ही चली आ रही है। जानिए कब हुई थी इस नोट की छपाई और इस बार क्या है इसमें खास।
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ये है नए नोट की खासियत
- एक रुपये का नया नोट 9.7 cm लंबा और 6.3 सेमी चौड़ा होगा।
- इसका कागज 100 फीसदी रैग (कॉटन) कंटेंट का बना होगा।
- नोट 110 माइक्रोन्स मोटा होगा और इसका वजन 90 ग्राम प्रति वर्ग मीटर होगा।
- इस नोट में‘भारत सरकार’ लिखा होगा। यह ‘Government of India’ के बाद वर्ष 2020 लिखा होगा।
- इस नोट पर वित्त सचिव अतनु चक्रवर्ती के हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में सिग्नेचर होंगे।
- नोट की दायीं तरफ नीचे की ओर काले पट्टी पर नंबरिंग पैनल होगा।
- इस नोट पर पहला तीन अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर्स एक साइज में लिखे गए होंगे।
- रुपये के सिंबल के साथ ही अनाज का डिजाइन भी बना होगा, जोकि देश में कृषि को दर्शाएगा।
- साथ ही नोट पर ‘Sagar Samrat’ की भी चित्र होगी, जो कि देश के आयल एक्सप्लोरेशन को दर्शाएगा।
- इस नोट का रंग मुख्यत: गुलाबी और हरा होगा। हालांकि, इस पर कुछ अन्य रंगों का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
- एक रुपये के नए नोट पर मल्टी टोन पर अशोक पिलर का वॉटरमार्क है। बायीं तरफ ऊपर से नीचे की ओर भारत लिखा होगा।
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नोट का इतिहास
- 30 नवंबर, 1917 को पहला 1 रुपया का नोट जारी किया गया था।
- पहले विश्वयुद्ध के दौरान औपनिवेशक अधिकारी टकसालों की असमर्थता के कारण 1 रुपया का नोट छापने को मजबूर हो गए थे।
- पहले एक रुपया के नोट पर पांचवे किंग जॉर्ज की तस्वीर छपी थी।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान चांदी की कीमतें बढ़ीं, इसलिए चांदी के सिक्का की तस्वीर के साथ इस नोट को मुद्रित किया गया।
- तब से प्रत्येक एक रुपया के नोट में उस वर्ष के एक रुपया के सिक्का की तस्वीर छपती आई है।
- साल 1926 में इसकी छपाई लागत लाभ के विचारों के चलते बंद कर दी गई थी।
- आजादी के बाद साल 1949 में एक रुपया के नोट पर से ब्रिटिश सिंबल को हटा दिया गया था।
- इसकी जगह रिपब्लिक भारत का सिंबल अशोक स्तंभ बनाया गया था।
- साल 1917 से लेकर 2017 तक इसके डिजाइन में 28 बार बदलाव आ चुका है।
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