सैय्यद मोहम्मद अब्बास
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल की जोड़ी हमेशा हिट रही है। मुलायम की सियासी पारी अगर शानदार है तो उसमें उनके भाई शिवपाल यादव का बहुत बड़ा योगदान है। सपा की साइकिल को यूपी में अगर गति मिली है तो उसमें शिवपाल यादव का ही हाथ है। शिवपाल यादव ने मुलायम की खातिर अपनी सियासी पारी को उतना महत्व नहीं दिया जितना उन्हें देना चाहिए था। आलम तो यह रहा कि नेताजी के खातिर शिवपाल ने सीएम की कुर्सी तक पर अपना दावा छोड़ दिया था। सत्ता की खिंचातान में अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए हमेशा लालायित रहे हैं। नतीजतन शिवपाल यादव और उनके भतीजे अखिलेश के बीच टकराव देखने को मिलने लगा। आलम तो यह रहा कि जिस पार्टी को बनाने में शिवपाल ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था आज उसी पार्टी में उनकी हैसियत खत्म हो गई थी। इसके बाद शिवपाल ने अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
चाचा और भतीजे के टकराव की वजह सपा को नुकसान
माना यह भी जाता है शिवपाल और अखिलेश के रिश्ते उस दौर में खराब हुए जब विधान सभा चुनाव बेहद करीब था। राजनीति के जानकार भी यही मानते हैं कि शिवपाल यादव और अखिलेश की लड़ाई की वजह से सपा दोबारा सत्ता में नहीं आ सकती। इतना ही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों की लड़ाई की मार देखने को मिली।
शिवपल अलग होकर मुलायम के साथ होने के दावा करते हैं
शिवपाल ने मौका देकर सपा से किनारा कर लिया और प्रगति समाजवादी पार्टी (प्रसपा) बना डाली। मुलायम कल मैनपुरी में नामांकन भरने गए थे लेकिन शिवपाल उसमें चाह कर भी नहीं जा सके लेकिन मुलायम के नामांकन से पहले उन्होंने अपने भाई से मुलाकात की। न जाने का मलाल उनके चेहरे पर साफ देखा जा सकता था। उन्होंने इस दौरान बंद कमरे में मुलायम से कुछ देर बात की और वहां से निकल गए। इस दौरान राष्ट्रीय महासचिव रामनरेश यादव मिनी भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि मैनपुरी में मुलायम की जीत के लिए शिवपाल यादव पूरा जोर लगा देंगे। शिवपाल ने कहा कि वह अपने भाई को जीत दिलाने के लिए पूरा समर्थन करेंगे। इतना ही नहीं मुलायम की जीत के लिए उनकी पार्टी का हर कार्यकर्ता काम करेगा। शिवपाल यादव हमेशा कहते रहे हैं कि उनको नेताजी का आर्शीवाद हासिल है। कई मौकों पर भाई मुलायम शिवपाल के साथ नजर आये हैं।
पूर्व मंत्री ने शिवपाल को लेकर किया खुलासा
उधर पूर्व मंत्री रामसेवक यादव ने खुलासा करते हुए कहा है कि मुलायम इटावा में थे तो उनके भाई शिवपाल यादव उनसे मिलने पहुंचे। इसके बाद रामसेवक ने मुलायम से मुलाकात की थी। उन्होंने बताया कि मुलायम काफी दुखी थे। पारिवारिक झगड़े के चलते मुलायम और शिवपाल यादव चाहकर भी एक साथ नहीं आ सके हैं। उधर शिवपाल यादव भी इस मौके पर काफी दुखी थे। ये पहला मौका था जब मुलायम इतने बड़े चुनाव में अपने भाई के बगैर चुनावी मैदान में उतर रहे हैं।