न्यूज डेस्क
विवादित कालापानी इलाके के मामले को लेकर नेपाल ने भारत पर दबाव बढ़ाते हुए कहा है कि यह इलाका हमारा है। दोनों देशों के बीच संबंधों में मुधरता बना रहे इसके लिए जरूरी है कि भारत इस विवाद को हल करें।
नेपाल के राजदूत निलंबर आचार्य ने मंगलवार को अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि भारत-नेपाल के बीच बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए जरूरी है कि इस मसले को हल किया जाए।
गौरतलब है कि भारत ने 2 नवंबर को नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था जिसमें नवगठित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश को उनकी सीमाओं के साथ दिखाया गया है। मानचित्र में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को नवगठित जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से के रूप में दिखाया गया है जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान को लद्दाख के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया गया है। इस पर नेपाल ने 6 नवंबर को आपत्ति जताया था।
इस मामले में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी 17 नवंबर को भारत से कालापानी इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुलाने को कहा था। ओली ने कहा था कि कोई भी नक्शा छाप लेता है। बात इसमें सुधार की नहीं, अतिक्रमण की है। नेपाल दूसरों की जमीन पर एक इंच अतिक्रमण नहीं करेगा और अपने क्षेत्र का एक इंच हिस्सा दूसरों को नहीं देगा। हम भारतीय सुरक्षाबलों को कालापानी से हटाएंगे। नेपाल की जमीन पर नेपाली सेना रहेगी।
नेपाल के राजदूत निलंबर आचार्य ने कहा कि हमें सचिव स्तर के मेकेनिज्म के जरिए ही मसले को हल करना चाहिए। 1815 में हुई सुगौली ट्रीटी के मुताबिक भी कालापानी इलाका नेपाल के हिस्से में आता है। नेपाल के नागरिकों की भी यही भावना है।
आचार्य ने कहा कि हम मानते हैं कि भारत बातचीत से पीछे हटने वाला नहीं है, लेकिन नेपाल चाहता है कि इस मसले पर जल्द बातचीत हो। नेपाल कालापानी के मुद्दे को छोटा नहीं मानता। यदि यह मसला हल होता है तो दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा।
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