यशोदा श्रीवास्तव
प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल हाल की घटनाओं के लिए अप्रत्यक्ष रूप से भारत को जिम्मेदार ठहराते हुए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र की गिरफ्तारी तक की चेतावनी दे दी है।
राजा समर्थकों की लगातार आंदोलन और प्रदर्शन के बीच नेपाल में सरकार परिवर्तन की अफवाहें भी तेज है। इस बीच प्रधानमंत्री और यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली भारत के प्रति आक्रामक हो उठे। वह भी ऐसे समय जब नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा भारत दौरे पर हैं।
यूएमएल पार्टी कार्यालय च्यासल में हुई सचिवालय बैठक में ओली ने खुलासा किया कि भारतीय खुफिया एजेंसियां उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए सक्रिय हो गई हैं।
ओली ने कहा कि दमक से काठमांडू तक भारतीय एजेंट उनकी सरकार गिराने की कोशिशों में लगे हैं। उन्होंने भारत की इस ‘साजिश’ को उजागर करने की चेतावनी दी।
ओली आने वाले कुछ दिनों में संसद में औपचारिक रूप से इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रहे हैं।सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए ओली ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा,
“हमारी स्थिति इतनी नाजुक नहीं है कि हमें किसी विदेशी की तस्वीर लेकर घूमना पड़े!” ओली का इशारा पिछले दिनों काठमांडू में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर की ओर था। जिसे कुछ दिन पहले पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के स्वागत में लहराया गया था।
नेपाल के पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को देखें तो नेपाल के एक बार फिर आंदोलन की आग के मुहाने पर खड़ा होने का अंदेशा साफ नजर आ रहा है।
पिछले एक पखवारे से हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर राजा वादी समर्थक आंदोलन रत हैं। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थन में हिंदू वादी संगठन सड़कों पर हैं। पूर्व राजदरबार नारायण हिटी द्वार के समक्ष राजा की वापसी की मांग को लेकर आंदोलन प्रदर्शन जारी है। हालत यह है कि इन घटनाओं को लेकर ओली सरकार हलकान हैं।
इधर स्वर्गीय नरेश वीरेंद्र विक्रम शाह और उनके संपूर्ण परिवार की हत्या का मामला उछाल कर पूर्व पीएम प्रचंड हिंदू संगठनों के निशाने पर हैं। राज शाही की मांग को लेकर हिंदू संगठनों के सड़कों पर उतर जाने को लेकर ओली ही नहीं प्रचंड के भी पेशानी पर बल है। घबड़ाए प्रचंड ने रविवार को हिंदू संगठनों के आंदोलन के खिलाफ आंदोलन की घोषणा कर दी है।
प्रचंड यदि आंदोलन पर उतारू हुए तो इसके हिंसक होने की पूरी संभावना है। लोगों का मानना है कि नेपाल फिर आंदोलनों की आग में झुलसेगा।
प्रचंड के नेतृत्व में समाजवादी मोर्चा ने अपने आंदोलन की रूप रेखा तय कर ली है और इसका “गणतंत्र बचाओ” का नाम दिया है। प्रचंड ने इसी महीने किसी तारिख को राजा वादियों के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन की तैयारी शूरू कर दी है। प्रचंड के आंदोलन की घोषणा के फौरन बाद राजा समर्थक आंदोलन के अगुआ दुर्गा प्रसाद राई ने भी आंदोलन का जवाब आंदोलन से देने की घोषणा कर दी है।
दोनों पक्षों के आंदोलन से ओली सरकार के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती है। काठमांडू का भृकुटी मंडप प्रचंड के शक्ति प्रदर्शन का केंद्र होगा जबकि राजा वादी पक्ष के शक्ति प्रदर्शन का केंद्र तिनकुने होगा।
दोनों ओर से शक्ति प्रदर्शन की चेतावनी के बीच रविवार की शाम ओली और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा की मुलाकात महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इधर पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के अपने पूर्वजों की धरती गोरखा पंहुचने पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। इसके एक दिन पहले नेपाल के प्रमुख नेताओं के यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात को लेकर काठमांडू में दिन भर कयासबाजी का बाजार गर्म रहा।
नेपाल के पूर्व सांसद अभिषेक शाह,लुंबिनी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डिल्ली बहादुर चौधरी,लुंबिनी प्रदेश विधानसभा में मुख्य मंत्री योगी का गुणगान करने वाले विधायक केसी गुप्ता ने मुख्यमंत्री योगी से मिलकर नेपाल और भारत के रिश्तों की प्रगाढ़ता पर चर्चा की और सीता माता के मायका जनकपुर में स्थति जानकी धाम का स्मृति चिन्ह भेंट किया। समझा जा रहा है अगली बार जब कभी हिंदू राष्ट्र को लेकर आंदोलन का बिगुल बजा तो उसकी शुरुआत जनकपुर से होगी।