जुबिली न्यूज डेस्क
नेपाल में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है और कम्युनिस्ट पार्टी के दो टुकड़ों में बंटने को लेकर अटकलों के बीच विरोधी गुट ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पार्टी से बाहर किए जाने का ऐलान किया है।
पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की अगुआई वाले गुट की संट्रेल कमिटी की रविवार को हुई बैठक में ओली को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
विरोधी गुट के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, ”उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है।” पिछले साल 22 दिसंबर को ओली को कम्युनिस्ट पार्टी में सह अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
Nepal's Caretaker PM KP Sharma Oli (file photo) removed from ruling Nepal Communist Party by a Central Committee Meeting of the splinter group of the party.
"His membership has been revoked," Spokesperson for the splinter group, Narayan Kaji Shrestha confirmed ANI. pic.twitter.com/6vc91tt03k
— ANI (@ANI) January 24, 2021
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शुक्रवार को विरोधी गुट के नेताओं ने ओली की सदस्यता रद्द करने की धमकी दी थी। विरोधी गुट के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने महीने में दूसरी बार सड़कों पर उतकर ओली के खिलाफ प्रदर्शन किया। वे ओली की ओर से पिछले साल 20 दिसंबर को संसद को भंग किए जाने के फैसले से नाराज हैं।
ओली ने संसद को भंग करते हुए इस साल अप्रैल मई में चुनाव कराने की घोषणा की है। ओली के इस फैसले पर राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने मुहर लगाई थी।
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पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को सरकार विरोधी बड़ी रैली के बाद कहा कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की ओर से संसद को अवैध तरीके से भंग किए जाने से देश में मुश्किल से हासिल की गई संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को गंभीर खतरा पैदा हुआ है।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के अपने धड़े के समर्थकों को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा कि ओली ने न सिर्फ पार्टी के संविधान और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया, बल्कि नेपाल के संविधान की मर्यादा का भी उल्लंघन किया और लोकतांत्रिक रिपब्लिक प्रणाली के खिलाफ काम किया।