जुबिली न्यूज डेस्क
नेपाल के सियासी संकट के बीच चीन की सक्रियता बढ़ गई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच जारी जंग की वजह से नेपाल में जो सियासी हालात उपजे हैं उससे चीन चिंतित है।
इसी साल के मई में जब नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर विवाद बढ़ गया था तब चीनी राजदूत होऊ यांकी पार्टी की हाई कमान और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मिलने पहुंच गईं थी। उनकी सक्रियता के बाद से कुछ वक़्त के लिए पार्टी में समझौता बना रहा।
जुलाई में एक बार फिर से पार्टी में बढ़े तनाव के चलते होऊ यांकी सक्रिय हुईं। तभी भी स्थिति नियंत्रण में रही थी। लेकिन बीते रविवार पीएम ओली ने लोकसभा भंग करने का फैसला किया, ये जानते हुए भी कि इससे पार्टी में दरार पैदा होगी।
ओली के इस कदम से होऊ और चीन हैरान नजर आ रहे हैं। इस मामले को शांत करने के लिए चीन ने अब एक वरिष्ठ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी नेता को नेपाल भेजा है।
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में अंतरराष्ट्रीय विभाग के उपमंत्री गुओ येझू रविवार को काठमंडू पहुंच रहे हैं। इस खबर की पुष्टि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो नेताओं ने की है।
पार्टी के दोनों गुटों के स्रोतों ने बताया है कि वे अपनी टीम के साथ नेपाल में चार दिन के दौरे पर होंगे। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के डिप्टी हेड बिष्नु रीजल ने काठमांडू पोस्ट को बताया है कि चीन ने गुओ के काठमांडू आने के बारे में बताया है।
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उन्होंने कहा, “फिलहाल मेरे पास आपको देने के लिए ज़्यादा जानकारी नहीं है।”
जानकारों का कहना है कि चीन का नेतृत्व नेपाल में सीपीएन-यूएमएल और माओवादी सेंटर को साथ लाया ताकि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को खड़ा किया जा सके और उसकी दिलचस्पी पार्टी की एकता और गठबंधन बनाए रखने में बनी हुई है।
पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और सुशील कोइराला के कार्यकाल में विदेश मामलों के सलाहकार रहे दिनेश भट्टाराज कहते हैं कि चीन ने नेपाल में बहुत निवेश किया है और भारत के साथ उसका मुकाबला रहा है, इसलिए भी उसकी दिलचस्पी नेपाल में बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “अब जो राजनीतिक बदलाव नेपाल में हो रहे हैं, इससे चीन चिंतित जरूर है।”