संजय सिंह
हाल ही में सी डब्ल्यू एम आई की एक रिपोर्ट में जल संकट से उपजने वाली गंभीर समस्याओं के बारे में आगाह भी किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी। इसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के सामने पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।
साल 2030 तक देश की 40 फीसदी आबादी को पीने का पानी उपलब्ध नहीं होगा और 2050 तक जल संकट की वजह से देश की जीडीपी को 6 प्रतिशत का नुकसान पहुंच सकता है। स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा जुटाए गए आंकडों के मुताबिक 70 प्रतिशत प्रदूषित पानी के साथ भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें पायदान पर है। ऐसे में जल संकट से निपटने के लिए बजट आवंटन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने योगी सरकार का चौथा बजट प्रस्तुत करते हुए विकास से सम्बंधित अनेक घोषणाए की जिनमे पानी संकट से निपटने के लिए विभिन्न मदों में बजट आवंटन किया गया है।
बजट में प्रदेश के साथ ही बुंदेलखंड की सूखी धरती से पानी के लिए जो संकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया था, उस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने का रास्ता तैयार करने की कोशिश की गयी है और उत्तर प्रदेश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर नल से जल और हर खेत तक पानी पहुंचाने और गांवों की प्यास बुझाने के संकल्प के लिए प्रयास नजर आता है।
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इस बजट में जल शक्ति, नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति के लिए सरकार ने नौ हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। इसमें से लगभग 6 हजार करोड़ रुपए खेतों की सिंचाई के लिए बड़ी नहर परियोजनाएं और नहरों से टेल तक पानी पहुंचाने के लिए बजट में व्यवस्था बजट है।
बजट में सरयू नहर परियोजना के लिए 1554 करोड़ रुपये मध्य गंगा नहर द्वितीय चरण के लिए 1736 करोड़ रुपयेय अर्जुन सहायक परियोजना के लिए 252.65 करोड़ रुपयेय राजघाट नहर परियोजना के लिए 393 करोड़ रुपयेय कनहर सिंचाई परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
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इसके अलावा वर्षा जल संचयन, बाढ़ नियंत्रण, जल निकासी और नलकूपों के लिए भी योगी सरकार ने पर्याप्त धन आवंटन किया है क्षतिग्रस्त नहरों का पक्का निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपयेय बाढ़ नियंत्रण एवं जल निकासी के लिए 966 करोड़ रुपये और वाटर सेक्टर री-स्ट्रक्चरिंग परियोजना के लिए 295 करोड़ रुपये का आवंटन सरकार की प्रतिबद्धता को बताता है।
जल जीवन मिशन के तहत गांवों में हर घर तक नल के माध्यम से जल पहुंचाने और अन्य ग्रामीण पेयजल योजनाओं सहित बुंदेलखंड विंध्य के गुणवत्ता प्रभावित गांवों में पाइप पेयजल योजना के लिए तीन हजार करोड़ रुपये की धनराशि रखी है।
इस तरह पानी के संकट पर बजट प्रावधानो के आधार पर संतोष तो जताया जा सकता है, लेकिन असली मुद्दा इस बजट के विवेकपूर्ण व्यय और इनसे मिलने वाले लाभ पर निर्भर करेगा। इससे पूर्व भी वर्ष 2002 से लगातार प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संकट के लिए तमाम धन आवंटन किया गया, लेकिन जमीनी हकीकत इसको प्रमाणित नही करती।
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हाल में सरकार द्वारा संचालित जल जीवन मिशन, अटल भूजल योजना और नमामी गंगे के अंतरगत सरकार के लक्ष्य और परिणाम आधारित काम करने के तरीके से प्रदेश और बुंदेलखंड की जनता को कुछ आशा बंधी है। उम्मीद है इस बार का बजट पानी के क्षेत्र में प्रदेश और विशेषकर बुंदेलखंड में कुछ सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार सभी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया है, विशेष तौर से जल संरक्षण एवं सम्बर्द्धन के क्षेत्र में और अधिकाधिक ध्यान दिया गया है। जिससे निश्चित तौर से उत्तर प्रदेश पानीदार बनेगा और भविष्य में जल सम्पन्न राज्य कहलायेगा। इसके लिए सरकार एवं समाज को मिलकर कार्य करना होगा सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस वृहद लक्ष्य की प्राप्ति हेतु जोडने की आवश्यकता है।
गांव स्तर पर जल संरक्षण का जो माहौल बना है उससे जल साक्षरता को हम कैसे बढावा दे यह हमारे लिए चुनौती है। इस चुनौती को हमे स्वीकार्य करते हुए आगे बढना होगा तभी अपना प्रदेश पानीदार होगा। इसके लिए गांव स्तर पर जल संरक्षण के लिए कैडर खड़ा कर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है जिससे वह राष्ट्र निर्माण के कार्य में सक्रिय रहे।
जल प्रबन्धन में नदी पुर्नजीवन का विशेष योगदान है। बुन्देलखण्ड में विविध कार्यक्रमों के माध्यम से नदी पुर्नजीवन का कार्य शुरू किया है। अब इस बजट से नदी पुर्नजीवन का कार्य और अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। जिससे जल संकटग्रस्त गांव में वर्षपर्यन्त की पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
(लेखक जल संरक्षण के विशेषज्ञ हैं)