जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. दिल्ली बार्डर पर छह महीने से ज्यादा समय से धरने पर बैठे किसान आने वाले चुनावों में सरकार की मुश्किलें बढ़ाएंगे यह बात अब पूरी तरह से तय होती नज़र आ रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से किसान नेता राकेश टिकैत की मुलाक़ात क्या गुल खिलायेगी यह आने वाला वक्त बताएगा.
नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को केन्द्र सरकार लगातार यह भरोसा दिलाने में लगी है कि सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म नहीं किया है. अपनी इसी बात को साबित करने के लिए सरकार ने हाल ही में धान की खरीद में न्यूनतम समर्थन मूल्य में 72 रुपये की बढ़ोत्तरी कर दी.
धान खरीद में 72 रुपये की बढ़ोत्तरी को नाकाफी बताते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे किसानों का अपमान बता दिया. पंजाब में चुनावी मौसम आने वाला है. ज़ाहिर है कि कैप्टन ने किसानों की तरफ अपना पासा फेंक दिया है. अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश के साथ पंजाब में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
कैप्टन अमरिंदर ने धान खरीद के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 72 रुपये बढ़ाकर 1940 रुपये प्रति क्विंटल किये जाने को केन्द्र का क्रूर मजाक बताते हुए यह साफ़ कर दिया है कि अगले चुनाव में कैप्टन के चुनावी मुद्दों में किसान भी होंगे.
शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि कहाँ तो सरकार किसानों की आमदनी दुगनी करने की बात करती थी और कहाँ ऐसे हालात बना रही है कि किसान के डीज़ल और उर्वरक के खर्च भी नहीं निकल पाएंगे. कांग्रेस का कहना है कि किसान की औसत लागत से पचास फीसदी ज्यादा एमएसपी तय होनी चाहिए.
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चुनाव करीब आ गए हैं तो विपक्ष ने एनडीए सरकार पर किसानों के मुद्दों को लेकर हमले भी तेज़ कर दिए हैं. विपक्ष का कहना है कि सिर्फ इस बात से काम नहीं चलेगा कि केन्द्र सरकार यही कहती रहे कि किसानों के साथ बातचीत के दरवाज़े खुले हैं. बेहतर हो कि सरकार नये कृषि क़ानून वापस लेकर दिल्ली बार्डर पर जमे किसानों को उनके घरों को लौटाए. विपक्ष का कहना है कि सरकार अपने संवेदनशील होने का सबूत पेश करे और किसानों के साथ सार्थक बातचीत करे.