न्यूज डेस्क
भारतीय जनता पार्टी की दो दशक पुरानी सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) पर बड़ा झटका दिया है।
अकाली दल ने मांग की है कि इस कानून में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाए। इनका मानना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ऐसे में मुसलमानों का बहिष्कार करना ‘उचित’ नहीं।
शिरोमणि अकाली दल के महासचिव और प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून में धर्म के आधार पर प्रताडऩा सहने वाले शरणार्थियों को जगह दी गई है, लेकिन हमें लगता है कि इसके दायरे में मुस्लिमों को भी लेकर आना चाहिए।
चीमा ने कहा कि हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर सालों से भारत में रहे हैं, उन्हें इस बिल के जरिए नागरिकता मिलेगी। उन्हें वह सभी अधिकार मिलेंगे जिससे वह अब तक वंचित है, लेकिन इस बिल का दूसरा पहलू यह है कि मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है।
अकाली दल के प्रवक्ता ने अपनी पार्टी का रूख रखते हुए कहा कि इस मामले में पार्टी का रुख एकदम साफ है। मुस्लिमों को भी इस कानून के तहत फायदा मिलना चाहिए। किसी के भी खिलाफ धर्म के आधार पर अन्याय नहीं किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को मुस्लिमों को भी इसमें शामिल करना चाहिए।
गौरतलब है कि नागरिकता कानून का विरोध कर रहे विपक्षी दलों के नेता मंगलवार 17 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे। विपक्ष की मांग है कि मोदी सरकार इस कानून को वापस ले।
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