न्यूज डेस्क
दुनिया का सबसे युवा देश कहा जाने वाला भारत में बेरोजगारी एक बडी समस्या है और आर्थिक मंदी के दौर में ये बीमारी और भी भयावह होती जा रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने बेरोजगारी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। NCRB डाटा के मुताबिक साल 2017-2018 में किसानों से ज्यादा बेरोजगारों ने खुदकुशी की है। बता दें कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था है और ये संस्था देश भर में अपराध से जुड़े आंकड़े और ट्रेंड जारी करती है।
अक्सर किसानों की खुदकुशी को लेकर राजनीति होती रहती है। राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब किसानों की मौत पर राजनैतिक रोटियां सेंकते रहते हैं। लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों ने मोदी सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दी है।
NCRB द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बेकारी और बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी करने वालों की संख्या किसानों की आत्महत्या की तादाद से ज्यादा है। साल 2018 में 12 हजार 936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी की थी। जबकि इसी अवधि में खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 349 लोगों ने आत्महत्या की थी।
NCRB के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2018 में देश में खुदकुशी के मामलों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 2018 में आत्महत्या के 1 लाख 34 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 1 लाख 29 हजार 887 लोगों ने खुदकुशी की थी.
गौरतलब है कि 2017 में 12 हजार 241 लोगों ने बेरोजगारी से परेशान होकर खुदकुशी की थी, जबकि खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 655 लोगों ने आत्महत्या की। हालांकि 2016 में बेरोजगारों के मुकाबले किसानों ने ज्यादा खुदकुशी की थी।
NCRB आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 11 हजार 379 किसानों-खेतिहर मजदूरों ने अपनी जान दे दी, जबकि इसी अवधि में 11,173 बेरोजगारों ने खुदकुशी की थी. हालांकि इन आंकड़ों के बीच अंतर बहुत कम था।
2015 में नौकरी और कमाई के साधनों से दूर 10912 लोगों ने खुदकुशी की, जबकि इसी अवधि में किसानों के आत्महत्या के 12602 मामले दर्ज किए गए थे।
बेरोजगारों द्वारा खुदकुशी के जारी किए गए सरकारी आंकड़ों से कई तथ्यों का पता चलता है। इस कैटेगरी में सुसाइड करने वाले 82 फीसदी लोग पुरुष हैं। खुदकुशी के ज्यादा मामले केरल (1585) तमिलनाडु (1579), महाराष्ट्र (1260) कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) में दर्ज किए गए हैं।
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में 5763 किसानों और 4586 खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की है। अगर 2018 की बात करें तो किसानों की खुदकुशी में 5457 किसान पुरुष थे, जबकि 306 महिलाएं थी। खेतिहर मजदूरों की बात करें तो खुदकुशी करने वालों में 4071 पुरुष थे, जबकि महिलाओं की संख्या 515 थी।
किसानों की खुदकुशी के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए। कुल खुदकुशी के 34.7 फीसदी मामले महाराष्ट्र में, 23.2 फीसदी कर्नाटक में, 8.8 फीसदी तेलंगाना में, 6.4 फीसदी आंध्र प्रदेश में और 6.3 फीसदी मध्य प्रदेश में दर्ज किए गये।
NCRB के आंकड़े कहते हैं कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में साल 2018 के दौरान किसी किसान, खेतिहर मजदूर ने आत्महत्या नहीं की है।