जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
वाराणसी। छावनी परिषद स्थित St. Mary’s Convent School द्वारा एलकेजी और नर्सरी में पांच साल के बच्चों का प्रवेश लेने से इंकार करने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( NCPCR) ने कड़ा रुख अपनाया है।
आयोग ने वाराणसी के जिलाधिकारी को सात दिनों के अंदर मामले की जांच कर उसपर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही उसने जिला प्रशासन से पूरी जांच रिपोर्ट और उस पर की गई कार्रवाई (ATR) का ब्योरा तलब किया है लेकिन निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के निर्देश पर रजिस्ट्रार अनु चौधरी ने गत 30 मार्च को वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को इस मामले में पत्र लिखा।
पत्र में उन्होंने जिलाधिकारी से कहा है कि वह इस मामले का संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई करें। साथ ही उन्होंने जिलाधिकारी से पत्र प्राप्ति के सात दिनों के अंदर पूरी जांच रिपोर्ट और उस पर की गई कार्रवाई से आयोग को भी अवगत कराने का निर्देश दिया है। बावजूद इसके जिलाधिकारी ने मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है और उन्होंने आयोग को अभी तक कोई जवाब भेजा है।
आयोग ने वाराणसी निवासी शिव दास की शिकायत पर यह कार्रवाई की है।
पेशे से पत्रकार शिव दास ने गत 23 फरवरी को आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो से शिकायत की थी कि छावनी परिषद स्थित St. Mary’s Convent School उनके पांच वर्षीय बेटे अर्जित का प्रवेश एलकेजी अथवा नर्सरी में लेने से इंकार कर दिया जबकि विद्यालय ने अपनी प्रवेश सूचना की नोटिस में अधिकतम उम्र सीमा निर्धारित नहीं की थी।
विद्यालय ने आवेदन फॉर्म जमा करते समय भी उनके बेटे का आवेदन पत्र निरस्त नहीं किया जबकि उसके साथ उसका जन्म प्रमाण-पत्र लगा हुआ था। विद्यालय प्रशासन ने आवेदन-पत्र स्वीकार करते हुए उन्हें करीब एक महीने बाद बच्चे के टेस्ट की तिथि एवं समय निर्धारित किया।
शिव दास ने दावा किया है कि जब वह अपने बच्चे को निर्धारित तिथि और समय पर बच्चे का टेस्ट दिलाने के लिए विद्यालय पहुंचे तो विद्यालय प्रशासन ने जुलाई में बच्चे की उम्र पांच साल से अधिक हो जाने की वजह से एलकेजी अथवा नर्सरी में उसे प्रवेश देने से मना कर दिया और अन्य किसी विद्यालय में यूकेजी में प्रवेश के लिए कोशिश करने के लिए कहा।
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हालांकि विद्यालय प्रशासन ने बकायदा उनके बच्चे का टेस्ट लिया। शिव दास ने अपनी शिकायत में विद्यालय प्रशासन पर आर्थिक रूप से शोषण करने, गुमराह करने और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने आयोग से बच्चे के भविष्य के मद्देनजर न्याय की गुहार लगाई है।
उनका कहना है कि उनके बेटा अभी पांच साल का नहीं हुआ है। आगामी दो जून को वह पांच साल का होगा। विद्यालय प्रशासन ने प्रवेश की अपनी नोटिस में नर्सरी और एलकेजी में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र चार साल निर्धारित की थी लेकिन अधिकतम उम्र की कोई सीमा निर्धारित नहीं की थी। इस वजह से उन्होंने अपने बेटे का आवेदन एलकेजी और नर्सरी, दोनों के लिए किया था लेकिन विद्यालय प्रशासन ने दोनों में ही प्रवेश नहीं लिया।
उन्होंने दावा किया कि विद्यालय प्रशासन ने उनके बेटे से जो भी सवाल पूछे और लिखवाया, उसने सभी का जवाब सही-सही दिया। इसके बावजूद विद्यालय प्रशासन ने उनके बेटे का प्रवेश उम्र के आधार पर खारिज कर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि विद्यालय प्रशासन प्रवेश के परिणाम में भी कोई पारदर्शिता नहीं बरतता है। विद्यालय ने अपने नोटिस में उल्लेखित शर्तों के खिलाफ जाकर चार साल से कम उम्र के बच्चों का प्रवेश एलकेजी और नर्सरी की कक्षाओं में लिया है।
विद्यालय प्रवेश पाने में सफल छात्रों का विवरण पता के साथ भी प्रकाशित नहीं करता है और ना ही असफल छात्रों के कारणों का उल्लेख करता है जबकि बेसिक शिक्षा विभाग के नियमों के तहत प्रवेश पाने में असफल रहने वाले छात्रों के कारणों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किए जाना आवश्यक है। उनका कहना है कि विद्यालय प्रशासन ने सैकड़ों छात्रों का प्रवेश उम्र के आधार पर निरस्त कर दिया है।
वाराणसी निवासी उमेश कुमार, निधि सिंह, शिखा गुप्ता आदि ने बताया कि विद्यालय प्रशासन ने एलकेजी में उम्र के आधार पर उनके बच्चों का प्रवेश लेने से इंकार कर दिया है।
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उमेश कुमार कहते हैं कि उनका बच्चा अगस्त महीने में पांच साल का होगा। विद्यालय उम्र की गणना जुलाई महीने से कर रहा है। इस आधार पर जुलाई में उनका बच्चा पांच साल का भी नहीं हो रहा है। इसके बावजूद उनके बच्चे का प्रवेश लेने से विद्यालय ने इंकार कर दिया। विद्यालय प्रशासन पारदर्शिता और नियमों की खेलआम धज्जियां उड़ा रहा है।
बता दें कि शिव दास ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से बेसिक शिक्षा विभाग से शिकायत की थी लेकिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह और उनके मातहत अधिकारियों ने प्राथमिक सुबूतों के बावजूद विद्यालय प्रशासन को कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं किया। वेबसाइट पर गैर-जिम्मेदाराना सूचना अपलोड कर मामले का निस्तारण कर दिया।
अभिभावकों और जानकारों की मानें तो अधिकतर जिला स्तरीय अधिकारियों और कर्मचारियों के बच्चे संत मैरिज कॉन्वेंट स्कूल में रिफरेंस के आधार पर पढ़ते हैं। इस वजह से वे विद्यालय की गैर-कानूनी गतिविधियों को संरक्षण प्रदान करते हैं। इसके लिए वे कानूनों एवं नियमों की धज्जियां उड़ाने से भी बाज नहीं आते हैं।