- वार्डों के नामकरण खेल में गच्चा खा गई भाजपा, बोर्ड में नहीं मिला बहुमत..
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। रामनगरी के नगरनिगम चुनाव में कई रोचक पहलू यादगार बन गए हैं। राजनीतिक पटल पर ऐतिहासिक जीत के साथ महंती सत्ता तो स्थापित ही हुई साथ में नाम बदलने का उन्माद भी भाजपा पर भारी पड़ा। कई बड़े नामधारी वार्डों में निर्दलीयों व सपा की जीत ने बोर्ड में भाजपा के बहुमत पर ब्रेक लगा दिया।
एक वार्ड में तो मतदाताओं ने नवेली बहुरिया को मुंह दिखाई में नोट के बदले वोटों का नेगचार देकर ऐतिहासिक जीत दिला दिया। दो दशक एक फिल्म आई थी, कहीं प्यार ना हो जाए।’
इस फिल्म में अलका याज्ञनिक के सुरों से सजा एक प्यारा गीत था, प्रिया प्रिया ओ प्रिया , तुमसा नहीं कोई प्रिया, तू खुश रहे जहाँ भी रहे, ये मेरे दिल की दुआ ओ प्रिया।
रामनगरी के लक्ष्मणघाट वार्ड में प्रिया शब्द मतदाताओं की जुबान पर ऐसा चढ़ा कि यहां से पार्षद चुनी गईं मुहल्ले की नवेली बहुरिया प्रिया शुक्ला ने सबसे बड़ी जीत दर्ज किया। प्रिया शुक्ला को 1744 वोट मिले और उनकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा को 555 वाली खैनी से ही संतोष करना पड़ा।
प्रिया शुक्ला के उम्मीदवार बनने की इंट्री बड़ी मजेदार है। अयोध्या के स्वर्गद्वार मुहल्ले के रहने वाले नवयुवक महेंद्र शुक्ला अयोध्या नगर निगम बनते ही सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और पार्षद बन गए थे। इस बार परिसीमन में वार्ड का नाम तो बदला ही सीट भी महिला हो गई।
महेंद्र शुक्ला ने महिला सीट घोषित होते ही बिना मुहूर्त कोर्ट मैरिज कर चुनाव फतेह करने का जुगर कर डाला। उन्होंने जनता से मुंह दिखाई में वोट मांगा कि जनता बेटी समझे या बहू, नेग में वोट दे और यही पत्नी को उनका तोहफा होगा। वार्ड के मतदाताओं ने भी नवेली बहुरिया को मुंह दिखाई नेगचार में नोट के बदले वोटों की बारिश कर दिया।
नगरनिगम परिसीमन के समय वार्डों के नाम बदल दिए गए थे। इस पर स्वदेश ने खबर लिखा था कि नाम बदलने का उन्माद कहीं भारी ना पड़ जाए और यह सच हो गया। प्रिया शुक्ला जिस लक्ष्मणघाट वार्ड से चुनाव जीती हैं वह पहले स्वर्गद्वार वार्ड था। नाम बदलने का खूब विरोध भी हुआ था।
स्वर्गद्वार मोहल्ले में ही दीपोत्सव जैसा आयोजन होता है। घाटों के साथ ही नदी तट पर अनेक मंदिर भी हैं, जिनमें सूर्यमंदिर और नागेश्वरनाथ मंदिर सर्वाधिक महत्व के माने जाते हैं. यहां कालेराम मंदिर, चंद्रहरि महादेव मंदिर, शेषावतार मंदिर, सहस्रधारा घाट, सरयू मंदिर, हनुमत सदन, हनुमत निवास सहित अन्य सिद्धस्थान हैं जो कि पौराणिक एवं रामायणकालीन माने जाते हैं. यहां चतुर्भुज का मंदिर और विधिजी का मंदिर भी है।
मतगणना कज समय पहला पार्षदी का जो परिणाम आया था वो अभिरामदास नगर वार्ड का था। निर्दल प्रत्याशी सुल्तान अंसारी जीत गए। भाजपा यहां तीसरे नंबर पर गई।
यहां भाजपा के पार्षद टिकट को लेकर खासी कचकच हुई थी। मालूम हो कि अभिरामदास राम जन्म भूमि आंदोलन के पुरोधा थे। इसी तरह मणिरामदास छावनी वार्ड जिसमें राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और नव निर्वाचित मेयर गिरीशपति त्रिपाठी का तीन कलश मंदिर आता है।
यहीं पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंतिम दौर में साधु-संतों और प्रबुद्ध जनों को सम्मेलन में साधा था। इस वार्ड में भाजपा को निर्दल प्रत्याशी आभा पांडेय ने हराया।
साकेत नगर वार्ड में आरएसएस कार्यालय साकेत निलियम है। यहां अक्सर संघ के बड़ों व भाजपाइयों का आना जाना लगा रहता है। बैठकी भी होती है। आरएसएस से जुड़े तमाम पदाधिकारी आपको यहां कुंडली मारे दिख जाएंगे। सर संघ चालक मोहन भागवत भी यहीं आकर रुकते हैं।
यह वार्ड भाजपाइयों के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, लेकिन नतीजा आने के बाद भाजपाई शर्म से पानी-पानी हो गए। दरअसल इस वार्ड में भाजपा का एक निष्ठावान कार्यकर्ता पिछले एक वर्षों से न सिर्फ वार्ड में काम कर रहा था बल्कि टिकट के लिए भाजपा के बड़े नेताओं के चौखटों को चूम रहा था, लेकिन जब टिकट बंटना शुरू हुआ तो उसे लॉलीपॉप देकर बैठा दिया गया।
इस वार्ड की निशा श्रीवास्तव पत्नी मनोज कुमार श्रीवास्तव को भाजपा ने पार्षद प्रत्याशी बना दिया। सपा से निरक्षर प्रत्याशी कौसर पत्नी मंसूर को मैदान में उतारा गया था।
दोनों ही प्रत्याशियों में कड़ी टक्कर थी, लेकिन नतीजे चौंकाने वाले आए। सपा प्रत्याशी कौसर ने भाजपा की निशा श्रीवास्तव को चारों खाने चित कर दिया। कौसर ने 183 मतों के अंतर से जीत दर्ज करते हुए वार्ड में पार्टी का परचम लहरा दिया। कहा जा सकता है कि नाम बदलने के उन्माद ने भी नगरनिगम बोर्ड में भाजपा के बहुमत का रथ रोक दिया।