जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ / अलीगढ़. साल 2015 में 24 जुलाई को देहली गेट क्षेत्र में एक शादी समारोह में था. शादी में डीजे चल रहा था. बाराती संगीत की धुनों पर थिरक रहे थे. इस शादी में हिस्ट्रीशीटर नौशे और चंदा भी मौजूद थे. खुशगवार माहौल था. इसी बीच आसिफ नाम का युवक नौशे के पास आया और उसे बुलाकर डीजे फ्लोर पर ले गया. नौशे भी मस्त होकर नाचने लगा. इसी बीच विरोधी पक्ष ने नौशे पर हमला कर दिया. उसके मुंह में असलहा डालकर गोली चला दी गई. नौशे ढेर हो गया तो चंदा पर भी गोलियां बरसा दी गईं. दोनों की मौत के बाद भी हत्यारों का दिल नहीं भरा तो दोनों के चेहरे ईंट से कूच दिए और इसके बाद हत्यारों ने दोनों की लाश शादी वाले घर के बाहर नाले में फेंक दी और फरार हो गए.
इस सनसनीखेज वारदात के बाद नौशे के बेटे राजा ने सिविल लाइंस में रहने वाले गयासुद्दीन एडवोकेट पर सुपारी देकर ह्त्या कराने का मुकदमा दर्ज करवाया. इस हत्याकांड में गयासुद्दीन के साथ-साथ आसिफ, अहसान, कफील, वकील और भूरा को नामज़द किया गया. पुलिस की जांच में सामने आया कि यह एक ज़मीन के विवाद के साथ ही वर्चस्व की जंग का मामला था.
लम्बे समय तक चली अदालती कार्यवाही में नामज़द आरोपित दोषी साबित हो गए. साक्ष्यों को देखने और गवाहों को सुनने के बाद अपर जिला जज तृतीय राजेश भारद्वाज ने पांच आरोपितों को फांसी और गयासुद्दीन एडवोकेट को उम्रकैद की सज़ा सुनाई. पौने सात साल तक चली अदालती कार्यवाही के बाद मुकदमा अपने अंजाम तक पहुंचा. सज़ा के बाद सभी आरोपितों को कड़ी सुरक्षा में जेल भेज दिया गया.
यह भी पढ़ें : प्यार के लिए बहा दिया अपने जिगरी दोस्त का खून
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : सियासत की चाशनी ने भर दिया इन धर्मगुरुओं में ज़हर