जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। आज भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है। हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत साल 2009 में महिला बाल विकास मंत्रालय ने की थी। 24 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन साल 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है। साथ ही उनके साथ होने वाले भेदभाव के प्रति भी लोगों को जागरुक करना है। इस दिन राज्य सरकारों की ओर से कई जागरुक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
ये भी पढ़े: पहले तेंदुए को खाया, फिर निकले सौदा करने, पुलिस ने दबोचा तो उठा पर्दा
ये भी पढ़े: किसकी रिहाई के लिए -50 डिग्री तापमान में भी रूस के लोग कर रहे प्रदर्शन
भारत में लड़कियों की साक्षरता दर, उनके साथ भेदभाव, कन्या भ्रूण हत्या एक बड़ा मसला है। कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम है। साक्षरता दर भी एशिया में सबसे कम है। सर्वे के अनुसार, भारत में 42% लड़कियों को दिन में एक घंटे से कम समय मोबाइल फोन इस्तेमाल की इजाजत दी जाती है। अधिकांश अभिभावकों को यह लगता है कि मोबाइल फोन ‘असुरक्षित’ है और ये उनका ध्यान भंग करते हैं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस से पहले जारी किए गए इस सर्वे में 10 राज्यों असम, हरियाणा, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 4,100 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया। इसमें चार प्रमुख हितधारक समूहों-किशोरियों, परिवार के सदस्यों, शिक्षकों और दस राज्यों में सामुदायिक संगठनों (जैसे गैर सरकारी संगठनों) के प्रतिनिधि शामिल थे। सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में किशोरियों के लिए डिजिटल उपकरणों तक पहुंच का एक संकट है।
ये भी पढ़े: CM योगी ने बताया कितनी हुई यूपी में प्रति व्यक्ति आय
ये भी पढ़े: सारा अली खान को चिल करते हुए देखा क्या
सर्वे में कहा गया है, ‘राज्य दर राज्य में पहुंच में अंतर है। कर्नाटक में जहां किशोरियों को अधिकतम 65% डिजिटल या मोबाइल उपकरणों तक आसान पहुंच प्राप्त है। लड़कों की पहुंच सुगम है। हरियाणा में, इस मामले में लैंगिक अंतर सबसे अधिक है जबकि तेलंगाना में डिजिटल पहुंच वाले लड़कों और लड़कियों के बीच अंतर सबसे कम (12%) है।’
सर्वे में कहा गया है कि परिवार का दृष्टिकोण और पूर्वाग्रह लड़कियों को डिजिटल उपकरण का इस्तेमाल करने के लिए दिए गए समय को प्रतिबंधित करता है। 42% लड़कियों को एक दिन में एक घंटे से भी कम समय के लिए मोबाइल फोन तक पहुंच की अनुमति दी जाती है।
आज यूपी में जेंडर चैपियंस व मेधावियों का होगा सम्मान
राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर आज विशेष सप्ताह के तहत प्रदेशभर से चयनित जेंडर चैपियंस और मेधावी छात्राओं को सम्मानित किया जाएगा। राज्य बोर्ड से 10वीं और 12वीं में जनपद में प्रथम 10 स्थानों पर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली 10-10 शीर्ष मेधावी छात्राओं को 5,000 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
वहीं राज्य बोर्ड से 12वीं कक्षा में जपनद में प्रथम स्थान पर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली छात्राओं को 20 हजार रुपये की नकद राशि से पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही जेंडर चैंपियंस, खेल और कलाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली पांच महिलाओं और पांच बालिकाओं को भी नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
एमपी में किशोरियों के जीवन को बदलेगा ‘पंख अभियान’
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ योजनांतर्गत ‘पंख अभियान’ का शुभारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान वर्चुअल माध्यम से 435 आंगनवाड़ी और 12 वन स्टॉप सेंटर का लोकार्पण भी करेंगे।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार प्रदेश में जन्म के समय लिंगानुपात एक हजार बालक पर 927 बालिका है, 15-49 साल की महिलाओं में शिक्षा का स्तर 59.4% और एनीमिया साढ़े 52% है। किशोरावस्था के समय यह जरूरी है कि उनकी जीवन-शैली और सपनों को सही ज्ञान और व्यवहारिक रूप दिया जाए। इसी उद्देश्य में मध्यप्रदेश द्वारा नई पहल की शुरूआत की जा रही है।
ये भी पढ़े: इन राज्यों तक पहुंचा Bird Flu
ये भी पढ़े: 100, 10 व 5 रुपये के नोट को लेकर RBI उठाने जा रहा ये कदम, पढ़ ले ये जरूरी खबर