जुबिली स्पेशल डेस्क
मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं हो रही है।
किसानों के आंदोलन को एक महीना होने जा रहा है लेकिन सरकार पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। इसी कानून के चलते बीजेपी को अपने पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को खोना पड़ा, हरियाणा में भी खट्टर सरकार पर संकट बढ़ रहा है।
उधर अब एनडीए के कुनबे में तीन नए कृषि कानूनों को लेकर एक राय नजर नहीं आ रही है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) किसानों को समझाने में जुटी है तो दूसरी ओर उसके सहयोगी पार्टी अब इस मुद्दे पर सरकार से खुलकर नाराज नजर आ रहे हैं।
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शिरोमणि अकाली दल के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने शनिवार को एनडीए से अलग होने का बड़ा कदम उठा लिया है। राजस्थान के अलवर जिले में शाहजहांपुर-खेड़ा सीमा पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद बेनीवाल ने शनिवार को कहा कि हम किसी के भी साथ नहीं खड़े होंगे, जो किसानों के खिलाफ हैं।
देश के अन्नदाताओं के सम्मान में आज @RLPINDIAorg ने एनडीए से अलग होने का निर्णय लिया,कृषि से जुड़े 3 बिल किसान विरोधी है !
— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) December 26, 2020
- RLP एनडीए छोड़ने वाला एनडीए का सबसे नया सदस्य है
- एनडीए के सबसे बड़े घटक शिवसेना में पिछले साल गठबंधन छोड़ा था
- इस साल सितंबर में अकाली दल ने एनडीए से खुद को अलग कर लिया
इससे पहले एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस बात का ऐलान किया था कि किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को उनकी पार्टी दो लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली के लिए मार्च करेगी। इससे पहले 19 दिसंबर को ही उन्होंने संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से त्याग पत्र देने की घोषणा की थी।
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