न्यूज डेस्क
लखनऊ सोसाइटी एवं गाइड समाज कल्याण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में पंकज प्रसून की किताब द लंपट गंज पर आधारित वेलकम टू लंपट गंज कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पृथ्वीराज चौहान ने पंकज प्रसून से रोचक एवं हास्य पूर्ण शैली में बातचीत की।
उनके सवाल पर कि लंपट गंज है कहां पंकज प्रसून बोले की जहां विसंगति है वहां लंपट गंज हैं उदाहरण के तौर पर सोनाक्षी सिन्हा जिनके घर का नाम रामायण, भाइयों का नाम लव कुश, और पिता का नाम शत्रुघ्न है वह यह बता देती हैं कि हनुमान सीता के लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे। या फिर एक आला मंत्री यह कह देते हैं कि ग्रेविटी की खोज आइंस्टाइन ने की थी तो लगता है कि हम सब लंपटगंज में ही रह रहे हैं।
इस सवाल पर कि आपकी हर किताब पर हिंदी संस्थान से पुरस्कार मिल जाता है क्या आप पुरस्कार पाने के लिए किताब लिखते हैं इस पर पंकज प्रसून ने कहा कि ऐसा नहीं है वह लिखकर पुरस्कार पाते हैं और कौन नहीं पाना चाहता है।
वहीं, जब उनसे पूछा गया कि आपकी कहानियों में प्रेम हमेशा असफल ही क्यों होता है पंकज प्रसून ने कहा की असफल प्रेम ही दास्तान बनता है कहानी बनता है और सफल प्रेम मैथमेटिक्स बन जाता है रोमियो जूलियट, सीरी फरहाद से लेकर राम रहीम चिन्मयानंद आसाराम बापू जैसे तमाम उदाहरण हमारे समाज में मौजूद है।
इस दौरान पंकज प्रसून ने किताब के अंश भी पढ़ें श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए उन्होंने पढ़ा-” जब इंसान पत्थर का हो जाता है तो वह भगवान का दर्जा पा जाता है।”
पुस्तक मेले पर उन्होंने कहा कि इस दौरान लेखक किताब के विमोचन के लिए मुख्य अतिथि ऐसे ढूंढता है मानो बेटी के लिए दामाद ढूंढ रहा हो। उन्होंने कहा कि व्यंग्यकार की दृष्टि भले ही नकारात्मक हो लेकिन सोच सकारात्मक होती है।
इस कार्यक्रम के अवसर पर व्यंग्य प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था, जिसमें 50 से ऊपर रचनाएं प्राप्त हुई थी जिनमें से 3 रचनाओं को प्रथम द्वितीय तृतीय पुरस्कार से एवं तीन रचनाओं को प्रोत्साहन पुरस्कार से नवाजा गया।
प्रथम पुरस्कार यदुवेश चतुर्वेदी, द्वितीय पुरस्कार अभिषेक वर्मा, तृतीय पुरस्कार अलीम नज़र एवम प्रोत्साहन पुरस्कार डॉ ललित प्रकाश, बेअदब लखनवी, आशुतोष कुमार द्विवेदी को प्राप्त हुआ। विजेताओं को लंपटगंज की प्रति एवम प्रमाण पत्र दिए गए।