न्यूज़ डेस्क
केंद्र में नई सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कारवाई करनी शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त 12 वरिष्ठ अफसरों को अनिवार्य तौर पर रिटायर कर दिया है। इसमें आयकर विभाग के चीफ कमिश्नर के साथ-साथ प्रिंसिपल कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात रहे अधिकारी भी शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय ने इन अफसरों को सरकार ने समय से पहले ही रिटायर किया है। इनमें 1985 बैच के आईआरएस अशोक अग्रवाल का नाम सबसे ऊपर है। अग्रवाल आयकर विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर और ईडी के संयुक्त निदेशक रहे हैं साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त होने से वे 1999 से 2014 के बीच निलंबित भी रहे हैं।
इसके अलावा अग्रवाल पर कारोबारियों से वसूलीव तांत्रिक चंद्रास्वामी की मदद का आरोप भी है। वहीं, आईआरएस अधिकारी होमी राजवंश को भी सेवानिवृत्ति किया गया है। वे 1985 बैच के आईआरएस अधिकारी है। उन पर आरोप है कि पद का गलत इस्तेमाल करते हुए संपत्ति अर्जित की है। सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था उसके बाद से वो निलंबित हैं।
सेवानिवृत्ति किए जाने वाले अफसरों में नोएडा के कमिश्नर (अपील) रहे 1989 बैच के आईआरएस एसके श्रीवास्तव शामिल है। इन पर कमिश्नर रैंक की दो महिला आईआरएस के साथ यौन शोषण करने का आरोप है। अन्य अफसरों में बी बी राजेंद्र प्रसाद, बी अरुलप्पा, अशोक मित्रा, चंदर सैनी भारती,अंदासु र्रंवदर, श्वेताभ सुमन, विवेक बत्रा व राम कुमार भार्गव शामिल हैं। ये सभी महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत थे जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप रहे हैं।
क्या है नियम 56
वित्त मंत्रालय के नियम 56 के तहत सरकार उन अधिकारियों को जो 50 से 55 की उम्र के है और 30 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके है उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जा सकता है। बता दें कि जनता के हित के लिए सरकारी विभाग से अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट देने का नियम काफी समय पहले ही वजूद में आ गया था। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने सबसे पहले इस नियम का इस्तेमाल करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिया है।