न्यूज़ डेस्क
गुजरात। सत्र न्यायालय ने सूरत की रहने वाली दो बहनों की ओर से लगाए गए बलात्कार के आरोप में आशाराम बापू के बेटे नारायण साईं को शुक्रवार को दोषी ठहराया है।
दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद सत्र न्यायालय अब 30 अप्रैल को सजा के ऐलान करेगा। पुलिस ने पीड़ित बहनों के बयान और लोकेशन से मिले सबूतों के आधार पर नारायण साईं और आसाराम के खिलाफ 6 अक्टूबर, 2013 को जहांगीरपुरा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
छोटी बहन ने अपने बयान में नारायण साईं के खिलाफ ठोस सबूत देते हुए हर लोकेशन की पहचान की जबकि बड़ी बहन ने आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। आसाराम के खिलाफ गांधीनगर के कोर्ट में मामला चल रहा है।
नारायण साईं पर पुलिस तथा न्यायिक अधिकारियों को रिश्वत देने का षडयंत्र रचने संबंधी भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज है। पीड़िता का आरोप था कि नारायण साईं ने उसे 2002 से 2005 तक बलात्कार का शिकार बनाया था। घटना के बाद नारायण साईं लापता था।
चोर पुलिस का खेल खेलने के 58 दिनों के बाद पुलिस ने 6 दिसम्बर, 2013 को नारायण साईं को गिरफ्तार किया गया था। नारायण साईं के खिलाफ 13 करोड़ रुपये की रिश्वत देने और गवाहों पर हमला करने के आरोप में एक और मामला दर्ज किया गया था।
नारायण साईं वर्तमान में लाजपुर सेंट्रल जेल में बंद है। नारायण साईं के खिलाफ कोर्ट अब तक 53 गवाहों के बयान दर्ज कर चुकी है, जिसमें कई अहम गवाह भी हैं, जिन्होंने इस कृत्य में आरोपितों की मदद की थी, लेकिन बाद में वो गवाह बन गए। इस मामले में पुलिस ने 34 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
इनमें से 24 आरोपितों को गुजरात हाई कोर्ट से स्टे दिया गया है। दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद सत्र न्यायालय ने आज नारायण साईं को दोषी करार दिया।
फैसला आने के समय अदालत के बाहर पुलिस बल बढ़ा दिया गया था क्योंकि उनके कई समर्थक अदालत के बाहर खड़े थे। नारायण साईं के समर्थकों द्वारा किसी भी अप्रिय घटना न हो, उसके लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई थी।