Saturday - 2 November 2024 - 3:00 PM

म्यांमार के सांसद भी भागकर आए भारत

जुबिली न्यूज डेस्क

फरवरी में सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। म्यांमार से आम आदमी से लेकर पुलिस और सांसद तक भारत भागकर आ रहे हैं।

पिछले दिनों खबरें आई थीं कि म्यामांर के पुलिस वाले भाग कर भारत आ गए हैं। अब खबर है कि भारत में शरण लेने वालों में सांसद भी शामिल हैं।

सीमा पार कर भारत आए अधिकतर सांसदों ने मिजोराम में शरण ली है, जिसकी सीमा म्यांमार से सटी हुई है।

म्यांमार के सांसदों के भारत चले जाने की जानकारी म्यांमार की सेना द्वारा हटा दी गई सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था के सलाहकार ने दी है।

सीआरपीएच नाम की इस समिति के सलाहकार ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सांसदों को डर था कि कई और जन-प्रतिनिधियों की तरह सेना उन्हें भी हिरासत में ले लेगी।

इस खबर की पुष्अि एक भारतीय पुलिस अधिकारी ने भी की है। पुलिस अधिकारी ने कहा है कि फरवरी के बाद से इन सांसदों समेत करीब 1800 लोग म्यांमार की सीमा पार कर भारत आ चुके हैं।

भारत आने वाले लोगों में से अधिकांश ने पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में शरण ली हुई है। सांसद म्यांमार के चिन और सगैंग प्रांतों से हैं और राष्ट्रीय और प्रांतीय विधायिकाओं के सदस्य हैं।

सलाहकार ने कहा कि सभी सांसद नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी के सदस्य हैं, जिसने नवंबर 2020 के चुनावों में जीत दर्ज की थी।

यह वही चुनाव हैं जिनके नतीजों को सेना विवादित बताती है। सलाहकार का कहना है, “इस समय म्यांमार में सांसद बड़े खतरे में हैं। उनकी तलाशी ली जा रही है और सैनिक उनका पीछा भी कर रहे हैं।”

हालांकि भारत में इन सांसदों की मौजूदगी देश के लिए एक कूटनीतिक समस्या बन सकती है। ऐतिहासिक रूप से भारत सरकार के म्यांमार सेना के साथ करीबी रिश्ते रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों में नई दिल्ली ने म्यांमार में हो रही हिंसा के खिलाफ बोला है।

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म्यांमार के सांसदों के बारे में जब भारत के विदेश मंत्रालय से पूछा गया तो प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि उनके पास इस विषय में साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं है।

गुरुवार को बागची ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “मैं दोहराना चाहूंगा कि हम म्यांमार में हो रही हिंसा की निंदा करते हैं और लोकतंत्र की बहाली का समर्थन करते हैं।”

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असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पोलिटिकल प्रिजनर्स एक्टिविस्ट समूह के अनुसार, तख्तापलट के बाद से सेना ने हजारों लोगों को हिरासत में रखा हुआ है, जिनमें 150 से ज्यादा हटाई हुई सरकार और संसद के सदस्य हैं।

तख्तापलट के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें करीब 600 लोग मारे जा चुके हैं। सेना के प्रवक्ता से इस पर टिप्पणी नहीं मिल सकी है।

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