न्यूज डेस्क
बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) यानी चमकी बुखार से मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है और अभी तक इस बीमारी से 149 मौतें हो चुकी हैं। लेकिन अभी तक इस बीमारी का कारण नहीं पता चल सका है। हालांकि, शोधकर्ताओं को यह पता चला है कि इसके पीछे कोई वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या किसी और जीव नहीं है यानी इसकी वजह गैर-संक्रामक है। इस बीमारी से जुड़े दूसरे फैक्टर भले ही साफ होते जा रहे हैं, लेकिन जड़ अभी दूर है।
इस बीमारी अभी तक अकेले मुजफ्फरपुर में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है। श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएस) में अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है। ऐसे में बिहार और केंद्र सरकार पर चौतरफा दबाव पड़ रहा है। बिहार की नीतीश सरकार ने पहली बार चमकी बुखार के संबंध में कार्रवाई की है।
भीमसेन कुमार निंलबित
बिहार सरकार ने श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भीमसेन कुमार को निंलबित कर दिया गया है। उन्हें कार्यस्थल पर लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया है। साथ ही प्रशासन का कहना है कि तैनाती के बाद भी बच्चों की मौत के मामले सामने आए और हालात पर काबू नहीं पाया जा सका।ऐसे में सवाल उठ रहा है कि डॉक्टरों की कमी से जुझ रहे बिहार में क्या नीतीश सरकार के द्वारा डॉक्टर को निलंबित करने से बीमारी का इलाज मिल जाएया या इस बीमारी से हो रही मौतों का सिलसिला रुक जाएगा।
बता दें कि बिहार से स्वास्थ्य विभाग ने पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ भीमसेन कुमार को 19 जून को एसकेएमसीएच में तैनात किया था। उनकी तैनाती के बाद भी अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला नहीं रुका।
बदहाल हैं अस्पताल
डॉक्टरों का कहना है कि चमकी बुखार से मौतें रोकी जा सकती हैं, अगर मुजफ्फरपुर जिले में गरीब परिवारों के पास अच्छा खाना, साफ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। बिहार के 16 जिलों में 600 बच्चे इंसेफेलाइटिस से प्रभावित हैं।
एईएस फैलने का कारण क्या है
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में पिछले एक महीने से पड़ रही भयंकर गर्मी से इसका ताल्लुक है।
कुपोषण और पानी की कमी से बढ़ रही है बीमारी
हालांकि कुछ स्टडीज में लीची को भी मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है। मुजफ्फरपुर लीची के लिए खासा मशहूर है। हालांकि कई परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों ने हालिया हफ्तों में लीची नहीं खाई है। डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
तापमान-आर्द्रता बढ़ने से चमकी बुखार का बढ़ता है प्रकोप
दूसरी ओर सीयूएसबी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने 2009 से 2014 के बीच तापमान और आर्द्रता का जेई और एइएस पर प्रभाव का अध्ययन किया। डॉ. प्रधान पार्थ सारथी इंडियन मेट्रोलॉजिकल सोसाइटी बिहार चैप्टर के अध्यक्ष भी हैं। वे जलवायु परिवर्तन को लेकर बिहार स्टेट एक्शन प्लान के स्टियरिंग कमेटी के सदस्य भी हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य में जून में एईएस के केस ज्यादा देखे जाते हैं जबकि सितंबर और अक्टूबर में जापानी इंसेफलाइटिस के मामले बढ़ जाते हैं। यानी मानसून या मानसून से पहले एईएस विस्तार पाता है और मानसून के बाद जापानी इंसेफलाइटिस। अगर प्री मानसून या मानसून सामान्य रहा है तो दोनों बीमारियां काफी हद तक नियंत्रित रहती हैं।