जुबिली न्यूज डेस्क
बीजेपी शासित असम में राज्य सरकार ने मुस्लिमों की शादी और तलाक़ के पुराने क़ानून को ख़त्म करने की मंज़ूरी दे दी है.साल 1935 के ‘असम मुस्लिम विवाह और तलाक़ पंजीकरण कानून’ में विशेष परिस्थिति में मुसलमानों को कम उम्र में शादी की इजाज़त दी गई है. असम सरकार ने इस फ़ैसले को बाल विवाह के ख़िलाफ़ लिया गया फ़ैसला बताया है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि इस क़ानून को ख़त्म करने के लिए पहले हम अध्यादेश लेकर आए थे, अब इसके लिए कानून बनाया जा रहा है. हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है, “ हम बाल विवाह को धार्मिक नज़रिए से नहीं देखते हैं. अगर 80 फ़ीसदी बाल विवाह अल्पसंख्यक समुदाय में होते हैं तो 20 फ़ीसदी बाल विवाह बहुसंख्यक समुदाय में भी होता है.”
एक्स पर पोस्ट करके दी जानकारी
सरमा ने यहां मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.’’