जुबिली न्यूज डेस्क
यूपी की गाजियाबाद पुलिस ने सांप्रदायिक सद्भावना तोड़ने के आरोप में ट्विटर और कई पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
यह कार्रवाई 5 जून को एक मुस्लिम बुज़ुर्ग पर हमले के मामले में की गई है।
अब्दुल समद नाम के एक बुज़ुर्ग ने एक वीडियो में दावा किया है कि उनकी दाढ़ी काटी गई और ‘वंदे मातरम’ के साथ जय श्रीराम बोलने पर मजबूर किया गया था।
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बुजुर्ग समद ने ये आरोप भी लगाया था कि उन्हें जंगल की ओर ले जाया गया था और वहीं बंधक बनाकर रखा गया था। लेकिन गाजियाबाद पुलिस ने इसमें किसी भी तरह के सांप्रदायिक एंगल को खारिज कर दिया है।
पुलिस की एफआईआर में मशहूर पत्रकार राना अयूब, सबा नकवी और मोहम्मद ज़ुबैर नामजद अभियुक्त के तौर पर शामिल हैं।
थाना लोनी बार्डर क्षेत्रान्तर्गत हुई घटना में #GhaziabadPolice द्वारा की गई कठोर कार्यवाही- 03 अभियुक्त गिरफ्तार ।
उक्त सम्बन्ध में पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण की वीडियो बाईट।@Uppolice https://t.co/IIcMJIvn46 pic.twitter.com/ZGHGQIpXsh— GHAZIABAD POLICE (@ghaziabadpolice) June 15, 2021
इसके अलावा ऑनलाइन न्यूज वेबसाइट ‘द वायर’, कांग्रेस नेता सलमान निजामी, समा मोहम्मद और मस्कूर उस्मानी को भी नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने बिना तथ्य की पुष्टि किए इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिया।
गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि ट्वीट्स का मकसद सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩा था। एफआईआर के मुताबिक ये ट्वीट्स हजारों बार रीट्वीट किए गए।
पुलिस ने अपनी शिकायत में कहा है कि पुलिस की ओर से इस मामले में स्पष्टीकरण भी दिया गया, बावजूद इसके ट्वीट डिलीट नहीं किए गए और न ही ट्विटर ने इस पर कोई कार्रवाई की।
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माइक्रोब्लॉगिंग प्लेफॉर्म ट्विटर के खिलाफ भी गाजियाबाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है और यह केंद्र सरकार के नए नियम के बाद ट्विटर के खिलाफ पहला मुकदमा है।
केंद्र सरकार ने 5 जून को ट्विटर को विस्तार से नए नियमों के बारे में बताया और उसे लागू करने के लिए कहा था। इसे एक सप्ताह में लागू करना था लेकिन आश्वासन के बाद भी यह समय सीमा समाप्त हो गई है।
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अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के अनुसार ट्विटर इन्टरमीडियरी का दर्जा खो सकता है। अब ट्विटर किसी भी कॉन्टेंट के लिए ख़ुद ही जिम्मेदार होगा।