न्यूज डेस्क
स्वामी विवेकानंद का आज जन्मदिन है। स्वामी विवेकानंद के बारे में कई अध्ययन सामने आए हैं लेकिन उनके बारे में एक चौंकाने वाली जानकारी बांग्लादेश से आई है जो विश्व मुस्लिम बिरादरी में एक मात्र देश है जहां स्वामी विवेकानंद को जाना और माना जाता है।
अभी दुनिया में करीब 50 रामकृष्ण मठ होंगे जिनमें से 15 अकेले बांग्लादेश में हैं। हैरत की बात है कि स्वामी विवेकानंद कभी बांग्लादेश के इलाकों में गए ही नहीं थे। आपको बात दें कि इन 15 रामकृष्ण मठों के जरिए स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार होता है जिन्हें ग्रहण करने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग हैं।
करीब 15 दिन तक बांग्लादेश में रहकर आए डॉ. जुल्फीकार बताते हैं कि मठ के द्वारा जीविका कमाने के जो काम किए जाते हैं, उनमें मुस्लिम महिलाएं बढ़-चढ़ कर भाग लेती हैं। डॉ. जुल्फीकार ने बताया कि जब विवेकानंद के बारे में और रिसर्च करने के लिए उन्होंने मुस्लिम देशों में रामकृष्ण मिशन के मठ तलाशे तो कहीं भी उनका आस्तित्व नहीं था।
सिर्फ बांग्लादेश ही वह मुस्लिम देश है जहां स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार करने वाले 15 रामकृष्ण मिशन के मठ हैं। पाकिस्तान में एक मठ था जिसे सन 1948 में खत्म कर दिया गया।
आपको बता दें कि डॉ. जुल्फीकार, राजस्थान के झुंझुनू जिले के खेतड़ी से हैं। वही खेतड़ी, जहां के राजा की मदद से स्वामी विवेकानंद 11 सितंबर 1893 में विश्व धर्म सम्मेलन में शामिल होने शिकागो गए थे। शिकागो में ही स्वामी विवेकानंद ने विश्व प्रसिद्ध भाषण दिया था, जो आज भी इतिहास के अमिट पन्नों में स्थान रखता है।
डॉ. जुल्फीकार जून-जुलाई 2013 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका गए थे। वहां के रामकृष्ण मठ में एक खास बात उन्हें देखने को मिली वहां मठ में संचालित सीनियर स्कूल की प्रार्थना सभा में न केवल कुरान की आयतें बल्कि गीता के श्लोक भी पढ़े जाते हैं।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 में हुआ था। स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।