जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान बहुत जल्द नई सरकार का गठन कर सकता है। जानकारी मिल रही है गुरुवार को तालिबान नई सरकार को ऐलान कर सकता है।
हालांकि बड़ा सवाल यह है कि अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बावजूद सरकार गठन में इतनी देरी क्यों हो रही है। इसका जवाब है कि चरमपंथी समूह के कई गुटों के बीच मतभेदों की वजह से वहां पर सरकार का गठन अब तक नहीं हो सका है लेकिन पुख्ता जानकारी है कि गुरुवार को दुनिया के सामने तालिबान अपनी नई सरकार की घोषणा करेगा।
हालांकि अभी तक खबर आ रही थी कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथों में तालिबान की कमान होगी लेकिन अब इसमें बड़ा बदलाव सामने आया है। कहा जा रहा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर नहीं बल्कि मुल्ला हसन अखुंद को तालिबान सरकार की कमान सौंपने की तैयारी है।उधर जानकारी मिल रही है कि पिछले हफ्ते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख दौरे के बाद नई सरकार का फॉमूर्ला तैयार हुआ है।
स्थानीय मीडिया ने मुल्ला हसन अखुंद को लेकर खबर दी है और बताया है कि उसके हाथों में तालिबान सरकार की कमान हो सकती है। मीडिया रिपोट्र्स की माने तो यूएन की आतंकियों की लिस्ट में शामिल और तालिबान के ‘कमतर’ नेता मुल्ला हसन अखुंद अफगानिस्तान के अगले पीएम बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं और लगभग उनके नाम पर मुहर लग गई है।
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मुल्ला हसन अखुंद के नाम का ऐलान गुरुवार को किया जा सकता है। ईरान मॉडल पर बनने वाली तालिबान सरकार को लेकर हिबतुल्ला अखुंजादा ने खुद मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को रईस-ए-जम्हूर, रईस-उल-वजारा या अफगानिस्तान के नए प्रमुख के रूप में प्रस्तावित किया है।
इसके बाद तालिबान नेताओं ने उनके नाम को लेकर एक राय बनाने की कोशिश की और मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नाम पर पर अब सब राजी हो गए है। हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा को ‘सर्वोच्च नेता’ के तौर पर नई सरकार में पेश किया जा सकता है।
कौन है मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद
मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद तालिबान के बड़े नेताओं में शुमार है और मौजूदा समय वो रहबारी शूरा का प्रमुख बताया जा रहा है। कंधार से उनका खास रिश्ता है।अखुंद तालिबान मूवमेंट के संस्थापकों में एक है।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक मुल्ला हसन अखुंद ने 20 सालों तक रहबारी शूरा के प्रमुख रहे हैं और उनकी पकड़ बहुत अच्छी बतायी जा रहा है। रोचक बात यह है कि अखुंद मिलिट्री बैकग्राउंड के बजाय धार्मिक बैकग्राउंड से हैं।
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अखुंद अपने चरित्र और धार्मिकता के लिए जाना जाते हैं। इसके साथ ही वो हैबतुल्ला अखुंजादा के करीबी रहे हैं। तालिबान की पिछली सरकार में मुल्ला हसन विदेश मंत्री थे और बाद में उप-प्रधान मंत्री भी बनाए गए।
उधर जानकारी मिल रही है कि नई सरकार में मुल्ला बरादर और मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला अखुंद के डिप्टी के रूप में नई सरकार में शामिल किया जा सकता है। वहीं सिराज हक्कानी को अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।