जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। 2017 विधान सभा चुनाव से पहले यूपी का सबसे मजबूत राजनीतिक परिवार में फूट पड़ गई थी। जिस पार्टी को मुलायम सिंह यादव ने बड़ी मेहनत से बनाया था, उसमें दरार पड़ गई थी और अखिलेश और शिवपाल की राहे अलग-अलग हो गई थी।
मुलायम सिंह यादव ने भाई शिवपाल और बेटे अखिलेश एक करने की कई कोशिश की थी लेकिन तब वो कामयाब नहीं हो सके। राजनीतिक गलियारों में तब ऐसी चर्चा थी कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल ने पार्टी में फूट डलवाई है और वो नहीं चाहते हैं शिवपाल की सपा में वापसी हो। तब से शिवपाल और राम गोपाल यादव के बीच राजनीतिक दूरियां बढ़ गई है लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।
कई बार शिवपाल यादव ने सपा प्रेम जरूर दिखाया लेकिन अब इस सपा प्रेम की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा राज्यसभा चुनाव होने जा रही है।
दरअसल शिवपाल सिंह यादव ने कुछ दिन पूर्व कहा था कि राज्यसभा सीटों के चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अपने चचेरे भाई प्रो. रामगोपाल यादव के पक्ष में वो मतदान करेंगे लेकिन इसके लिए उनकी एक शर्त यह होगी कि अखिलेश यादव समर्थन मांगेंगे तो वह स्वयं और उनके समर्थक विधायक वोट देंगे।
अब बड़ा सवाल यह है क्या शिवपाल यादव सच में रामगोपाल यादव को वोट देकर पुराने गिले-शिकवे दूर कर लेगे। इसके साथ यह सपा का कुनबा क्या एक बार फिर एक हो सकता है।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश में 2022 में विधान सभा चुनाव होना है लेकिन यहां पर सियासी घमासान लगातार तेज होता दिख रहा है। सपा से लेकर कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से हटाने की बात कर रही है तो दूसरी ओर सपा से अलग हो चुके शिवपाल यादव भी अपनी पार्टी प्रसपा को आगे बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।
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इसके लिए शिवपाल जमीनी स्तर पर अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे हुए है। हालांकि शिवपाल यादव ने साफ कर दिया है कि वो सपा में दोबारा इंट्री नहीं लेंगे और साथ में उनकी पार्टी का प्रसपा में विलय नहीं होगा।