न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) की संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक्शन में आ गए हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद से ही मुलायम पार्टी कार्यालय में लगातार पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं।
मुलायम की सक्रियता यूपी की सियासत में नए संकेतों की ओर इशारा कर रही है। दरअसल चुनाव-दर-चुनाव हार का सामना कर रहे अखिलेश यादव ने चुप्पी साध रखी है। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में खाली हुई MLA की सीटों पर समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ सकती है।
गौरतबल है कि साल 2012 में समाजवादी पार्टी ने यूपी विधानसभा में मुलायम के नेृतत्व में प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी की थी। सपा करे 247 सीट मिली थी जबकि बसपा को 80 सीटें तो बीजेपी के खाते में 47 सीटें आईं थी।
इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव, 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव सपा ने अखिलेश के नेतृतव में लड़ा, जिसमें उसे बुरी हार झेलनी पड़ी। चुनाव-दर-चुनाव एक्सपेरिमेंट करने वाले अखिलेश यादव पार्टी को फिर से पटरी पर लाने के लिए मंथन कर रहे हैं। मुश्किल की इस घड़ी में मुलायम सिंह उनके साथ खड़े दिखाई पड़ रहे हैं. मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव के साथ एक पिता और नेता के तौर पर साथ हैं।
सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के बाद मुलायम सिंह पूरी तरह सक्रिय हैं और अखिलेश यादव से लगातार संपर्क में है। उन्होंने अखिलेश को खास हिदायत भी दी है। दूसरी तरफ अखिलेश यादव समझ चुके हैं कि समाजवादी पार्टी को यूपी में फिर से खड़ा करना है तो सोशल मीडिया वाले युवाओं के साथ पुराने अनुभव का होना बेहद जरूरी है।
अगर पार्टी में युवा जोश वाले नेता आगे रहेंगे तो लंबा सियासी अनुभव रखने वाले समाजवादियों को भी साथ रखना पड़ेगा। सपा के विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि हालिया चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह को अपना चेहरा बना सकते है। प्रदेश की 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में मुलायम सिंह की अगुवाई में पार्टी चुनाव लड़ सकती है।
माना जा रहा है कि मायावती उपचुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगी। ऐसे में मुलायम के नेतृत्व में अगर सपा चुनाव लड़ती है और मायावती उन्हें अपना समर्थन करती हैं तो सपा की सभी 11 सीटों पर मजबूत दावेदारी होगी।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद यूपी की 11 सीटों पर उपचुनाव होना है। चुनाव जीतने वालों में बीजेपी के आठ विधायक हैं, जिसमें तीन राज्य सरकार में मंत्री थे। इसके अलावा सपा, अपना दल और बसपा के एक-एक विधायक सांसद चुने गए हैं।
बताते चले कि इससे पहले अखिलेश यादव ने टीवी पर पार्टी का पक्ष रखने वाले सभी प्रवक्ताओं की छुट्टी कर दी है। इसके अलावा सपा के चारों फ्रंटल संगठन के प्रभारी भी उनके निशाने पर हैं। कभी भी चारों को हटाया जा सकता है, इसमें समाजवादी युवजन सभा, समाजवादी छात्रसभा, समाजवादी लोहिया वाहिनी और मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड शामिल हैं। यही नहीं संगठन में लंबे समय से सत्तासीन बड़े नेताओं पर भी गाज गिरनी तय मानी जा रही है।