जुबली न्यूज़ डेस्क
आल इंडिया मैन्युफैक्चर्स आर्गेनाईजेशन (AIMO) व अमौसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन समेत देश के 25 MSME समूह ने “सेव MSME अभियान” की घोषणा की है और प्रधानमंत्री को सार्वजानिक पत्र के माध्यम से MSME व इकॉनमी को पुनर्जीवित करने के लिए रु 21 ट्रिलियन के पैकेज में कुछ संशोधन करने के सुझाव दिए हैं।
MSME संगठनों के समूह का कहना है की रु 3 लाख करोड़ की ECLGS (इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम) के अंतर्गत 40 दिनों के बाद भी मात्र 8% इकाइयों को ही इसका लाभ मिला है, इस योजना की सबसे बड़ी कमी इसकी कट ऑफ डेट 29/02/2020 है, जब की लॉक डाउन देश के अधिकांश भाग में 21/03/2020 को लगा था, जिसके लगने के बाद इकाइयों में लिक्विडिटी की समस्या पैदा हुई, इस लिए कट ऑफ डेट को संशोधित कर 22/03/2020 कर देना चाहिए।
लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए केंद्रीय सरकार को MSMEs को 31/12/2020 तक ESI और EPF से पूरी तरह छूट देनी चाहिए।
केंद्रीय सरकार को डिलेड पेमेंट की समस्या से निपटने के लिए एक वेब पोर्टल पर विचार करना चाहिए जिस पर सभी प्रकार के सरकारी एवं प्राइवेट प्रतिष्ठानों को अनिवार्य रूप से हर तिमाही अपने तीन महीने या उस से ज्यादा पुराने लेनदारों की सूची अपलोड करनी होगी।
अमौसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन लखनऊ के रजत मेहरा ने कहा की MSME क्षेत्र की प्रोप्रिएटरशिप / पार्टनरशिप / LLPs फर्म्स जो अभी इन चुनौती भरे समय में भी किसी तरह अपना गुजारा कर पा रहीं हैं, उनको लिक्विडिटी सपोर्ट देने के लिए और उनकी सेहत बरकरार रखने के लिए इनकम टैक्स की दरें 30% (जो की सर्वाधिक स्लैब है) से घटाकर 15% कर देना चाहिए।
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