जुबिली स्पेशल डेस्क
मोदी तीसरी बार आज शाम को देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। हालांकि बीजेपी को बहुमत नहीं मिला है लेकिन वो गठबंधन सरकार बनाकर एक बार फिर सत्ता में लौट रही है।
एनडीए के पास 293 सीटें है, जो बहुमत के आंकड़े से काफी आगे है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन के सहारे मोदी पीएम बन जाएंगे लेकिन उनकी राह आसान नहीं लग रही है।
दरअसल सत्ता की असली चाबी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के हाथों में है। दोनों ही दलों के भरोसे में मोदी की तीसरी पारी टिकी हुई है।
इतना ही नहीं दोनों का इतिहास रहा है कि कब पलट जाए ये किसी को पता नहीं है। ऐसे में मोदी को सरकार चलाने में अब वो आजादी नहीं मिल सकेगी जो पहले मिला करती थी।
तेलुगु देशम पार्टी नेता और एन चंद्रबाबू नायडू के बेटे एन लोकेश नायडू ने भी कुछ मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
हाल में इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत करते हुए साफ कर दिया था कि इस बार मोदी सरकार को एकतरफा फैसला नहीं लेने दिया जायेगा। उन्होंने कुछ ऐसे मुद्दों को हवा दी है जिस पर बीजेपी का रुख हमेशा कड़ा रहा है, उनमें आरक्षण का मामला काफी अहम है।
लोकेश ने कहा कि समुदाय को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। एन लोकेश नायडू ने कहा है कि टीडीपी हमेशा से धर्मनिरपेक्ष पार्टी रही है और रहेगी। हम किसी का कोटा नहीं छीनेंगे। किसी को भी इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। टीडीपी नेता ने कहा है कि यह रुख बीजेपी का है और वह तब होगा जब बीजेपी राज्य में अपने दम पर आंध्र प्रदेश में सरकार बनाएगी। एन लोकेश ने कहा है कि मैं यह आश्वासन देना चाहता हूं कि टीडीपी किसी भी समुदाय का कोटा नहीं हटाएगी। चंद्रबाबू नायडू के बेटे ने कहा है कि सरकार का हमेशा से यह मानना रहा है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों, गरीबी से निपटने के लिए लाभ मिलना चाहिए और यह जारी रहेगा।
कुछ इसी तरह का रुख जेडीयू का भी है। उसने भी समर्थन देने के वक्त अपनी बात रखी है और साफ कह दिया है कि इस बार कुछ मुद्दों पर एकतरफा फैसला नहीं लिया जा सकता है।
केसी त्यागी ने कहा था कि अग्निवीरों का भविष्य सुरक्षित करना सरकार का दायित्व है। फिर भी यदि जरूरत पड़ी तो हम इसमें बदलाव के लिए भी तैयार हैं। केसी त्यागी ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि इस योजना को खत्म कर देना चाहिए, लेकिन चुनाव के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने अग्निवीर योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था।
कुछ इसी तरह का रुख जेडीयू का भी है। उसने भी समर्थन देने के वक्त अपनी बात रखी है और साफ कह दिया है कि इस बार कुछ मुद्दों पर एकतरफा फैसला नहीं लिया जा सकता है।