न्यूज़ डेस्क
लोकसभा चुनाव 2019 में शुरू से ही बीजेपी की भोपाल से निर्वाचित सांसद साध्वी प्रज्ञा विवादों में घिरी रही है। 17वीं लोकसभा के प्रथम सत्र की शुरुआत सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह के साथ हुई। इसमें चुनाव के दौरान विवादों से घिरी रहीं भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने संसद में भी जाते ही विवाद खड़ा कर दिया।
17वीं लोकसभा सांसद के रूप में पहुंची प्रज्ञा ने अपने नाम के साथ अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी पूर्ण चेतनानंद अवधेशानंद गिरी का नाम जोड़कर शपथ लेना शुरू किया, जिस पर विपक्षी सांसदों ने नियम-कायदों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई।
आपको बता दें कि प्रज्ञा सिंह ने लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र में अपने पिता का नाम सीपी सिंह दर्ज कराया है। लेकिन संसद में शपथ लेते समय उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु का नाम बोला जो रिकार्ड में दर्ज नहीं था। कायदे से नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त हलफनामे में जो नाम दर्ज होता है, उसी नाम से ही सांसद शपथ ले सकते हैं। इसके बाद सांसद अपने पिता का नाम अपने नाम के साथ जोड़ सकते हैं। लेकिन साध्वी प्रज्ञा ने इस नियम का पालन नहीं किया और सदन में हंगामा शुरु हो गया।
संस्कृत में ली शपथ
जब विपक्ष की ओऱ से हंगामा जारी रहा तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने बताया कि, उनका पूरा नाम यही है, लेकिन हंगामे के बाद प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार ने रिकॉर्ड को सत्यापित करने और तदनुसार संज्ञान लेने को कहा। रिकॉर्ड चेक करने पर पाया गया कि साध्वी के नाम के साथ पूर्ण चेतनानंद गुरू अवधेशानंद का नाम नहीं लिखा गया था। इसके बाद उन्हें रिकॉर्ड में दिए गए नाम के साथ शपथ लेने को कहा गया। इसके बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने ईश्वर के नाम पर संस्कृत में शपथ ग्रहण की।
बीच में ही चेक किये गए रिकॉर्ड
इस बीच लोकसभा के अधिकारियों ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर से अपनी शपथ में पिता का नाम लेने की बात कही। इस दौरान वीरेंद्र कुमार फाइलों की जांच करते देखे गए। उन्होंने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को चुनाव आयोग द्वारा जारी जीत के प्रमाण पत्र देने को कहा। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जब दूसरी बार शपथ लेना शुरू किया तो एक बार फिर विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक बार फिर बीच में रुक गईं।
तीसरे प्रयास में पूरी की शपथ
इसके बाद लोकसभा के अधिकारी सांसदों के रिकॉर्ड से जुड़ी फाइल प्रोटेम स्पीकर के पास लेकर गए. यहां प्रोटेम स्पीकर ने सभी रिकॉर्ड चेक किया। इस दौरान वह सभी विपक्षी सदस्यों से सदन में व्यवस्था बनाए रखने का अनुरोध कर रहे थे ताकि शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो सके। दो बार खलल के बाद, प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने तीसरे प्रयास में अपना शपथ पूरा किया। साध्वी के पक्ष में सत्ता पक्ष के सांसदों ने भी उठकर समर्थन में नारेबाजी की। जब साध्वी प्रज्ञा सिंह शपथ लेने के लिए आईं तो उस समय भी सदन में जय श्री राम के नारे लगाए गए थे।