जुबिली न्यूज डेस्क
भोपाल: चुनाव नजदीक आते ही एमपी में बीजेपी के अंदर की हवा बदल रही है। पहली बार रतलाम की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पत्ते खोले हैं। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। अभी तक मध्यप्रदेश की चुनावी रैलियों में पीएम मोदी शिवराज सरकार की प्रमुख योजनाओं का जिक्र नहीं करते थे। पहली बार रतलाम में उन्होंने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का जिक्र किया है। यह शिवराज सरकार की फ्लैगशिप योजना है। पार्टी ने इसी के जरिए एमपी में वापसी का ख्वाब देख रही है। वहीं, प्रधानमंत्री पहली बार जब योजना का जिक्र किया तो शिवराज सिंह चौहान को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का क्रेडिट बीजेपी सरकार को दिए हैं। इसके लिए शिवराज सिंह चौहान के नाम नहीं लिए हैं। यह सर्वविदित है कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत शिवराज सिंह चौहान ने की है। इन योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रेज बहुत है। ऐसे में बीजेपी को इग्नोर करना पार्टी के लिए आसान नहीं है। शायद यही वजह है कि वोटिंग से पहले बीजेपी के अंदर की हवा बदलने लगी है।
चेहरे को लेकर स्थिति साफ नहीं
मध्यप्रदेश में 20 सालों में पहली बार ऐसा हो रहा है कि बीजेपी ने अभी तक चेहरे का ऐलान नहीं किया है। पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। प्रचार-प्रसार में भी पीएम मोदी की योजनाओं का जिक्र ज्यादा है। चेहरे पर पार्टी के बड़े नेताओं का जवाब एक ही होता है कि चुनाव के बाद पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगी। ऐसे में अभी भी चेहरे पर स्थिति साफ नहीं है।
शिवराज की दमदार वापसी
वहीं, मध्यप्रदेश में पार्टी शिवराज सिंह चौहान को दरकिनार कर रही थी। चुनाव की तारीखों की घोषणा से कुछ दिन पहले उन्होंने दमदार वापसी की है। उन्होंने खुद ही चुनावी सभाओं में यह सवाल करना शुरू कर दिया था कि मामा ने कैसा काम किया। मुझे फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहिए की नहीं। ऐसे तमाम सवाल शिवराज सिंह चौहान अपनी सभाओं में पूछते थे। जबलपुर में पीएम मोदी की रैली में भी उन्होंने बहनों से पूछा था कि मैंने अच्छी सरकार चलाई कि नहीं।
पहली बार लाड़ली बहना योजना का जिक्र
एमपी विधानसभा चुनाव में महज 12 दिन बचे हैं। 12 दिन बदले प्रधानमंत्री मोदी ने नए संकेत दिए हैं। उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की फ्लैगशिप योजना का जिक्र कर सियासी पंडितों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इसके साथ ही यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या बीजेपी के लिए शिवराज को इग्नोर करना आसान नहीं है।
बड़े चेहरों को उतारकर दिए थे संकेत
दरअसल, बीजेपी ने चुनाव से पहले ही यह साफ कर दिया था कि चेहरा शिवराज सिंह चौहान नहीं होंगे। इन अटकलों को तब और बल मिला था, जब पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों से समेत आठ चेहरों को मैदान में उतार दिए। साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान के नाम को तमाम केंद्रीय नेता चुनावी सभा में लेने से बचते रहे।
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क्यों मजबूरी हैं शिवराज सिंह चौहान
दरअसल, एमपी चुनाव में कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड खेल दिया है। ओबीसी की आबादी मध्य प्रदेश में 50 फीसदी से अधिक है। मध्यप्रदेश में निर्विरोध रूप से शिवराज सिंह चौहान सबसे बड़ा चेहरा है। साथ ही वह ओबीसी समाज से आते हैं। शायद आखिरी वक्त में बीजेपी को शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता का अंदाजा हो गया है। इस बात का पार्टी को पूरी तरह से एहसास है कि शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में 20 साल तक मुख्यमंत्री रहे है। उन्होंने इस तरह से साइड करके नहीं चला जा सकता है। ऐसे में पार्टी को अपनी रणनीति बदली पड़ी है।