जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के अलावा आज दस राज्यों की 54 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए वोटिंग जारी है। इनमें मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं, जहां अपनी सरकार बचाने के लिए बीजेपी का कांग्रेस के साथ मुकाबला है। हालांकि, कुछ सीटों पर बसपा और निर्दलीय प्रत्याशियों के चलते मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
बता दें कि एमपी में उपचुनाव की जरूरत कांग्रेस के 25 विधायकों के इस्तीफा देने और 3 विधायकों के निधन से हुई। कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले सभी 25 विधायक बीजेपी में आ गए हैं, इन सभी 25 लोगों को टिकट देकर बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है, इनमें से शिवराज सरकार के 14 मंत्री भी हैं। उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे कि कमलनाथ सरकार को हटाकर बनी शिवराज सरकार टिकी रहेगी या नहीं।
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार 15 महीने में ही गिरने के बाद इस साल मार्च में बीजेपी की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान पांचवीं बार सीएम बने, लेकिन सत्ता में बने रहने के लिए बीजेपी को उपचुनावों में कम से कम 9 सीटें जीतना जरूरी है। इस लिहाज से देखें तो उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट है।
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मध्य प्रदेश की विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं और बहुंत के लिए 116 सदस्यों का बहुमत चाहिये। वर्तमान में शिवराज सिंह चौहान सरकार यानी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। यानी सत्ता में बने रहने के लिए उसे 9 सीटें जीतनी होंगी।
वहीं, कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस के विधायकों की संख्या महज 87 है। हाल ही में एक कांग्रेस विधायक के इस्तीफे के बाद कुल 29 सीटें खाली हैं और इनमें से 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिये 28 में से 25 सीटों पर जीत जरूरी है। ऐसा होने पर शिवराज सरकार पलट सकती है।
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उपचुनाव के लिए प्रचार के दौरान दोनों दलों ने ‘करो या मरो’ वाली स्थिति में पूरा दमखम लगाया। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो 28 में से 25 पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। यदि सभी 25 सीटों पर कांग्रेस को जीत नहीं मिलती है तो शिवराज सरकार को खतरा न के बराबर है। हालांकि तब बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के दम पर सत्ता को चुनौती दिये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
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एमपी की जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें से ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटें हैं. इनमें मुरैना, मेहगांव, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर, डबरा, बमोरी, अशोक नगर, अम्बाह, पोहारी,भांडेर, सुमावली, करेरा, मुंगावली, गोहद, दिमनी और जौरा सीट शामिल है. वहीं, मालवा-निमाड़ क्षेत्र की सुवासरा, मान्धाता, सांवेरस आगर, बदनावर, हाटपिपल्या और नेपानगर सीट है। इसके अलावा सांची, मलहरा, अनूपपुर, ब्यावरा और सुरखी सीट है। इसमें से जौरा, आगर और ब्यावरा सीट के 3 विधायकों के निधन के चलते उपचुनाव हो रहे हैं।