जुबिली न्यूज ब्यूरो
देश में गोरक्षा के नाम पर बढ़ते हत्यारे समूहों ने देश को चिंता में डाल दिया है। बीते चार सालों में भारत में ऐसे समूहों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुयी है जो खुद को गोरक्षक मानते हुए किसी की जान लेने लगे हैं।
हालाकिं केंद्र सरकार इस पर चिंता व्यक्त करने के अलावा इसे रोकने के लिए अब तक कोई पहल नहीं कर सकी है मगर अब इन जो गुंडों पर सख्ती की कोशिशे भी शुरू हो गयी है। इस शुरुआत की पहल मध्य प्रदेश से हुई है।
मध्य प्रदेश सरकार मध्य प्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 में एक संशोधन लेकर आ रही है, जिसमें व्यक्तियों या संपत्तियों पर कथित गोरक्षकों के हमले को गंभीर अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा. इसके बाद मध्य प्रदेश इस तरह का कानून लाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा. इस मकसद से लाए जा रहे प्रस्तावित संशोधन को अधिनियम में धारा 6सी के तौर पर शामिल किया जाएगा.
सरकारी आँकड़े बताते हैं कि बीते चार सालों में जो रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी के करीबन 100 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें तीन दर्जन से अधिक लोगो की निर्मम हत्याएं कर दी गई. इन हमलों में तकरीबन 300 लोगों को अधमरा कर दिया गया।
केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद 2014 में ऐसे मामलों की शुरुआत हुयी और 3 मामलो में 11 लोग ज़ख्मी हुए। 2015 में इसमें तेजी आये और देश भर में ऐसे 12 मामले सामने आए जिनमे 10 लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई और 48 लोग घायल हुए. 2016 में गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्डी की घटनाएं दोगुनी हो गयी। इस साल 24 मामलों में 8 लोगों की हत्या हुयी और 58 लोगों को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया गया. 2017 में ये समूह और भी बेकाबू हुआ और 37 मामलों में 11 हत्याएं हुई, जबकि 152 लोग ज़ख्मी हुए। 2018 से ले कर अब तक यह आंकड़े लगाकर बढ़ते ही जा रहे हैं।
जो गुंडों पर लगाम लगाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार जो कानून ला रही है उसके तहत दोषी व्यक्ति को कम से कम छह महीने और अधिकतम तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। लेकिन अगर यह उल्लंघन किसी गैरकानूनी रूप से एकत्र भीड़ ने किया है तो मामले में नामजद हर व्यक्ति को कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल के कारावास और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा हो सकती है.
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इस कानून में अपराध के लिए उकसाने वाले को भी उतने ही दंड का प्रावधान है जितना घटना को अंजाम देने वालो को। साथ ही साथ गोरक्षा के नाम पर किसी व्यक्ति अथवा उसकी संपत्ति को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश के लिए भी दंड का प्रावधान है। हालांकि इस तरह के केस में सजा आधी हो जाएगी.
जो रक्षा के नाम पर हो रही हत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि इस तरह के अपराधों पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं।