न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ देश में विरोध प्रदर्शन जारी है। देश के कई हिस्सों में लोग शांतिपूर्ण तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं सीएए को रद्द करने की मांग को लेकर केरल विधानसभा सदन में 31 दिसंबर 2019 को एक प्रस्ताव पारित किया गया।
विस में पास इस प्रस्ताव को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है, क्योंकि नागरिकता विशेष रूप से एक केंद्रीय विषय है, इसलिए इसका वास्तव में कुछ महत्व नहीं है।
कुछ दिन पहले ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद एक सेमिनार में नागरिकता संसोधन कानून को लेकर बयान दे रहे थे जिसका विरोध करने के लिए इतिहासकर इरफान हबीब मंच पर आ गए। मंच पर उपस्थित लोगों ने बीच-बचाव किया था।
Kerala Governor Arif Mohammad Khan on state assembly's resolution against Citizenship Amendment Act: This resolution has no legal or constitutional validity because citizenship is exclusively a central subject, this actually means nothing. pic.twitter.com/GHPJ7lvlsR
— ANI (@ANI) January 2, 2020
गौरतलब है कि केरल विधानसभा के सदन में जब सीएए को रद्द करने के लिए प्रस्ताप पारित किया गया तो सदन में बीजेपी के एकमात्र सदस्य ने विरोध किया था। केरल में सत्तारूढ़ सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने विधानसभा में सीएए के विरोध में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया था।
मालूम हो केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने पहले ही घोषणा की थी कि उनके राज्य में संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर लागू नहीं किया जायेगा।
31 दिसंबर 2019 को केरल विधानसभा में प्रस्ताव पेश करके इसे एक के मुकाबले 138 मतों से पास करवाकर केरल की पी विजयन सरकार ने केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।
केरल के मुख्यमंत्री का कहना है कि केंद्र सरकार को अपने संकीर्ण और भेदभाव वाले रवैये को त्यागकर सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए.। नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ सदन में प्रस्ताव पास करने वाली केरल विधानसभा देश की पहली विधानसभा है। बीजेपी विधायक का कहना है कि देश की संसद से बनाए गए कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाना गैरकानूनी है और यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ भी है।
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