जुबिली न्यूज डेस्क
कहते हैं कि मां-बाप ईश्वर का रूप होते हैं। ईश्वर खुद नहीं आ सकते इसीलिए उन्होंने मां को बनाया। लेकिन जब मां-बाप ही अपने बच्चे के लिए हैवान बन जाए तो क्या कहा जायेगा।
मेरठ में ऐसी ही एक घटना सामने आई है जिसे सुनकर लोगों के मुंह से यही निकल रहा है- कि मां-बाप ऐसा कैसे कर सकते हैं।
मेरठ के थाना परतापुर के शताब्दी नगर में देर रात लोगों ने एक झाड़ी से बच्चे के रोने की आवाज सुनी तो उसे ढूंढना शुरू किया। वहां एक बोरी पड़ी हुई थी। बोरी निकाली गई। जब उसे खोला गया तो एक और बोरी बंधी हुई थी। इसके बाद तीसरी बोरी में कंबल में लिपटा नवजात पड़ा था।
लोगों ने तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी दी। नवजात ठंड से ठिठुरा हुआ था। उसे तुरंत पास के अस्पताल में ले जाया गया। बच्चे को डॉक्टरों ने देखा और बताया कि बच्चा प्री-मेच्योर है लेकिन हेल्दी है।
डॉक्टरों ने बताया कि कुछ समय पहले ही बच्चे का जन्म हुआ था और उसकी नार भी नहीं काटी गई थी।
ये भी पढ़े: …तो महिलाओं को हर महीने मिलेगी चार दिन की एक्स्ट्रा छुट्टी
ये भी पढ़े: इन चेहरों को बाइडन की कैबिनेट में मिलेगी जगह
वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है कि मुझे शताब्दी नगर से कॉल मिली थी। जानकारी दी गई कि बोरियों में लिपटी एक बच्ची मिली है। तुरंत टीम वहां के लिए रवाना कर दी गई। बच्ची का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची स्वस्थ्य है।’
पुलिस ने कहा कि उस इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। इस घटना की पूरी जांच की जाएगी।
नवजात बच्चियों का मिलना हमारे देश में नया नहीं है। आए दिन ऐसी घटना सामने आती है। पिछले साल उत्तर प्रदेश के बरेली में श्मशान में तीन फीट नीचे घड़े में कैद नवजात बच्ची मिली थी। कचरे के ढेर या फिर झाडिय़ों में अकसर बच्चे पाए जाते हैं। इनमें से कई लोग ‘नाजायज’ बच्चों को लोकलाज के भय से मरने के लिए छोड़ देते हैं तो कई लोग लड़की औऱ लड़के में भेदभाव के चलते ऐसी निर्दयता दिखाते हैं।
सरकार के तमाम जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद अभी समाज में लिंग को लेकर भेदभाव देखने को मिल रहा है।
ये भी पढ़े: महाराष्ट्र की राजनीति में क्या बड़ा होने वाला है
ये भी पढ़े: गौरवशाली अतीत और निराशा के अंधकार में फंसी कांग्रेस