जुबिली न्यूज डेस्क
भारतीयों में विदेशों में बसने की चाह रखने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के धनी लोग अधिक से अधिक संख्या में देश छोडऩे के इच्छुक हैं।
ब्रिटेन स्थित अंतरराष्ट्रीय कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स, जो लोगों को दूसरे देशों की नागरिकता और वीजा दिलवाती है, का कहना है कि
गोल्डन वीजा यानी निवेश के जरिए किसी देश की नागरिकता चाहने वालों में भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
हेनली ग्लोबल सिटिजंस रिपोर्ट के अनुसार, नागरिकता नियमों के बारे में पूछताछ करने वालों में 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीयों की संख्या 54 प्रतिशत बढ़ गई। 2020 में भी उससे पिछले साल के मुकाबले यह संख्या 63 प्रतिशत बढ़ी थी।
रिपोर्ट के अनुसार दूसरे नंबर पर अमेरिका के लोग रहे जिनकी संख्या में 2020 के मुकाबले 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इस सूची में ब्रिटेन तीसरे और दक्षिण अफ्रीका चौथे नंबर पर रहा। ब्रिटेन के लोगों की संख्या तो दोगुनी से भी अधिक हो गई है।
हेनली ऐंड पार्टनर्स में अधिकारी डॉमिनिक वोलेक का कहना है कि, “सबसे अधिक पूछताछ जिन देशों से आई, उनमें दुनिया के दक्षिणी हिस्से के देश अधिक हैं, सिवाय कनाडा के जो नौवें नंबर पर है। 2022 में भी हम ऐसा ही रूझान देख रहे हैं और शुरुआत में
ही पूछताछ की संख्या को देखकर लग रहा है कि 2021 से भी अधिक वृद्धि हो सकती है।”
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वोलेक के अनुसार ‘माइग्रेशन बाई इनवेस्टमेंट’ यानी निवेश के जरिए दूसरे देशों में बसने की इच्छा रखने वालों में धनी लोगों की संख्या ही अधिक है।
वह कहते हैं, “विदेशों में बसने के पारंपरिक फायदे तो हैं ही, निवेश के जरिए नागरिकता जैसी योजनाएं लोगों को अपने धन के निवेश में विविधता का विकल्प भी देती है।”
दक्षिण एशिया में हेनली ऐंड पार्टनर्स के अधिकारी निर्भय हांडा का कहना है कि दक्षिण एशिया में निवेश के जरिए माइग्रेशन लगातार बढ़ रहा है और लोगों में इसकी स्वीकार्यता में भी वृद्धि देखी जा रही है।
उन्होंने कहा, “धनी और अत्याधिक धनी निवेशक अपने परिवारों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लगातार नए विकल्प खोज रहे हैं। 2020 के मुकाबले 2021 में हमने 52 फीसदी का इजाफा देखा है और 2022 भी बड़ी वृद्धि वाला साल होता दिख रहा है।”
वहीं भारत सरकार के आंकड़े कहते हैं कि 2016 से 2021 के बीच आठ लाख से अधिक भारतीय अपनी नागरिकता त्याग कर विदेशी नागरिकता अपना चुके हैं।
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पिछले साल संसद को दी जानकारी में केंद्र सरकार ने बताया था कि दिसंबर 2021 तक पांच साल में लगभग 6,10,000 लोग भारत की नागरिका छोड़ गए थे जिनमें से सबसे अधिक 42 प्रतिशत ने अमेरिका की नागरिकता हासिल की। 2021 के पहले नौ महीनों में ही 50 हजार से अधिक भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता ग्रहण कर ली थी।
भारत छोड़कर जाने वालों की दूसरी पसंद कनाडा रहा जहां 2017 से 2021 के बीच 91 हजार भारतीय ने नागरिकता ली। तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया रहा जहां कि 86,933 भारतीय पांच साल में नागरिक बन गए। उसके बाद इंग्लैंड (66,193) और फिर इटली (23,490) का नंबर है।