Tuesday - 29 October 2024 - 2:48 AM

आपदा व युद्ध के चलते दुनियाभर में आठ करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित

जुुबिली न्यूज डेस्क

दुनिया में विस्थापन की समस्या के पीछे सबसे बड़ी वजह आपदा और युद्ध रहा है। इसके चलते हर साल लाखों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बनने को मजबूर होते हैं।

बुधवार को यूएन ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच संघर्ष विराम और करुणा की अपील के बावजूद हिंसा और उत्पीडऩ ने लोगों को उनके घरों से निकलने के लिए मजबूर किया है।

यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक रिकॉर्ड स्तर पर लोग विस्थापित हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 के अंत तक सात करोड़ 95 लाख लोग विस्थापित हो चुके थे जिनमें करीब तीन करोड़ शरणार्थी शामिल थे और यह आंकड़ा विश्व की आबादी का लगभग एक फीसदी है।

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संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) के प्रमुख फिलिपो ग्रैन्डी के मुताबिक, “जबरन विस्थापन की संख्या पिछले एक दशक में करीब दोगुनी हो चुकी है, वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति सुनिश्चित करने में विफल हो रहा है। ”

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) के अनुसार प्रांरभिक आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2020 में और अधिक लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है। इसके बाद विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या आठ करोड़ को पार कर जाती है।

यूएनएचसीआर के प्रमुख फिलिपो ग्रैन्डी कहते हैं, “हम अब एक और निराशाजनक मील के पत्थर को पार कर रहे हैं। यह तब तक बढ़ता रहेगा जब तक कि विश्व के नेता युद्ध नहीं रोकते हैं।”

दरअसल हर साल भारी संख्या में लोग युद्ध, यातना, संघर्ष और हिंसा से बचने के लिए जान बचाने के लिए अपना घर छोड़ देते हैं। इन लोगों को अक्सर शिविरों में बहुत ही कठिन भरी जिंदगी बितानी पड़ती है।

इसी साल के मार्च महीने में संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कोरोना महामारी के बीच वैश्विक युद्ध विराम की अपील की थी। इस महामारी के कारण अब तक 15 लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं।

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यूएनएचसीआर का कहना है कि 2020 की पहली छमाही के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चला है कि सीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मोजाम्बिक, सोमालिया और यमन में युद्ध और हिंसा के कारण ताजा विस्थापन हुआ है। इसके अलावा अफ्रीका के केंद्रीय साहेल क्षेत्र में भी ताजा विस्थापन देखने को मिला है।

यूएनएचसीआर की रिपोर्ट के मुताबिक वहां क्रूर हिंसा, बलात्कार और हत्याएं बढ़ीं हैं, जिससे लोग घर छोड़ कर भाग रहे हैं।
यूएन की एजेंसी का कहना है कि संघर्ष को शांत करने के बजाय कोरोना वायरस संकट ने “मानव जीवन के हर पहलू को बाधित किया है, जबरन विस्थापित और बिना देश वाले लोगों के लिए मौजूदा चुनौती और गंभीर हो गई है।”

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एजेंसी का कहना है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कुछ उपायों के कारण शरणार्थियों के सुरक्षित जगहों पर पहुंचना और कठिन बन गया है। कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान अप्रैल में 168 देशों ने पूरी तरह से या आंशिक रूप से अपनी सीमाएं सील कर दी थीं।

यूएनएचसीआर का कहना है कि अब तक 111 देश ने शरण प्रक्रिया काम करती रहे इसके लिए “व्यावहारिक समाधान” खोज निकाला है। इसके बावजूद 2019 में इसी अवधि की तुलना में इस साल की पहली छमाही के दौरान नई शरण अर्जियों में एक तिहाई की गिरावट आई है।

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