न्यूज डेस्क
एक ओर देश में मॉब लिचिंग के मामले तेजी से बढ़े हैं तो वहीं गुजरात में पिछले दो साल में 863 हिंदुओं ने सरकार से धर्म परिवर्तन की अनुमति मांगी है।
गुजरात विधानसभा में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दो जुलाई को बताया कि राज्य में पिछले दो साल में 863 हिंदुओं और 35 मुसलमानों समेत 911 लोगों ने अपने धर्मांतरण के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है।
राज्य के गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले रूपाणी ने लिखित उत्तर में बीते दो जुलाई को बताया कि 911 में से 689 लोगों को अनुमति दी गई है।
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गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा का बजट सत्र दो जुलाई को ही प्रश्नकाल से आरंभ हुआ। रूपाणी ने यह जानकारी कांग्रेस विधायकों द्वारा पिछले दो साल (31 मई 2019 तक) की गृह विभाग से धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन देने वाले लोगों की सूंची मांगने पर दिया।
मुख्यमंत्री रूपाणी ने बताया कि पिछले दो साल में 911 आवेदन पत्रों में से हिंदुओं के 863, मुसलमानों के 35, ईसाईयों के 11, खोजा समुदाय से एक और बौद्ध समुदाय से एक आवेदन मिला है।
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उन्होंने बताया कि धर्म परिवर्तन की अनुमति मांगने वाले हिंदुओं में सर्वाधिक संख्या सूरत जिले (474) के लोगों की है। इसके बाद जूनागढ़ (152) और आणंद (61) के हिंदुओं ने आवेदन किया है।
गौरतलब है कि गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे इसके लिए सरकारी प्राधिकारियों से अनुमति लेना अनिवार्य है। जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए यह कानून 2008 में लागू किया गया था।
जनवरी में 432 हिंदुओं ने अपनाया था बौद्ध धर्म
पांच साल पहले राजकोट के 238 लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया था। 2018 में भी जूनागढ़ में भी लगभग एक लाख लोग एकत्रित हुए थे लेकिन अनुमति ना मिलने से धर्म परिवर्तन नहीं कर पाए। लेकिन 19 जनवरी 2019 को एक साथ 432 हिंदुओं ने बौद्ध धर्म अपनाया था।
यह धर्म परिवर्तन गुजरात के इतिहास में सबसे बड़ा था। सूरत में बुद्ध धर्म दिक्षा अंगीकार समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में इन हिंदुओं बौद्ध धर्म अपनाया था और इन लोगों को बौद्ध अनुयायी होने का सर्टिफिकेट भी दिया गया था।