Friday - 8 November 2024 - 7:04 PM

राजा की इच्छा से ज्यादा खुद को वफादार साबित करने में लगी है यूपी पुलिस !

विवेक अवस्थी

प्रदीप कनौजिया नामके एक  पत्रकार को सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कुछ “आपत्तिजनक टिप्पणी” करने और “अफवाह फैलाने” के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किया गया था। लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज होने के बाद उन्हें दिल्ली से हिरासत में ले लिया गया।

नोएडा पुलिस अपने लखनऊ के साथियो से बहुत पीछे नहीं थी और उसने तुरंत ही नोएडा स्थित एक नए न्यूज  चैनल “नेशन लाइव” की प्रमुख ईशिका सिंह और उस चैनल के संपादक अनुज शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया, जब वे उस महिला पर एक कार्यक्रम प्रसारित करने की तैयारी कर रहे थे जिसने यूपी के मुख्यमंत्री के संबंध में कुछ “बेतुके” दावे किए थे।

कनौजिया के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 500 (मानहानि), भारतीय दंड संहिता की 505 (बयानों को सार्वजनिक रूप से गलत ठहराने वाले) और धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण) के तहत दर्ज किया गया था।

कनौजिया की पत्नी द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई  सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई को बेजा  करार कर दिया। अदालत ने पूछा कि “क्या यह हत्या का मामला है? … व्यक्तियों की राय अलग-अलग हो सकती है। उन्हें (प्रशांत) को शायद उस ट्वीट को प्रकाशित या लिखना नहीं चाहिए था, लेकिन उन्हें किस आधार पर गिरफ्तार किया गया था? कनौजिया को केवल सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट करने के लिए 11 दिनों के लिए हिरासत में नही रखा जाना चहिए।“

न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने कनोजिया की पत्नी जगिशा अरोड़ा की ओर से वकील नित्या रामाकृष्णन और शादान फरसत की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “नागरिकों की स्वतंत्रता पवित्र और गैर-विवदित है। यह संविधान द्वारा गारंटीकृत है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है।”

ट्विटर और फेसबुक पर कनौजिया के पोस्ट में मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर विभिन्न मीडिया संगठनों के संवाददाताओं से बात करते हुए एक महिला का वीडियो था, जिसमें दावा किया गया था कि उसने आदित्यनाथ को शादी का प्रस्ताव भेजा था।

लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन के एक सब-इंस्पेक्टर ने शुक्रवार रात कनौजिया के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की और उनकी छवि खराब करने की कोशिश की।

हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया पर कनौजिया द्वारा की गई टिप्पणी वास्तव में बहुत ठीक नही है, लेकिन उसे गिरफ्तार करने के लिए यूपी पुलिस की दिल्ली में पकड़ने की कार्रवाई भी समान रूप से आलोचना के लायक है।

एक तरफ, यूपी पुलिस के महानिदेशक, ओपी सिंह राज्य में सख्त कानून व्यवस्था के साथ जूझ रहे हैं, जिसमें अलीगढ़ में एक मासूम की नृशंस हत्या भी शामिल है, लखनऊ पुलिस के पास कनोजिया को गिरफ्तार करने के लिए हर समय और ऊर्जा है, जो सभी को पीछे छोड़ रही है। जब्कि इससे ज्यादा कई अन्य गंभीर मामलों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

यूपी पुलिस की प्रतिष्ठा को भारत के सर्वोच्च न्यायालय की मजबूत टिप्पणियों के साथ एक गंभीर चोट लगी है।

 

(विवेक अवस्थी बिजनेस टेलीविजन इंडिया-बीटीवीआई के वरिष्ठ राजनीतिक संपादक हैं, यह उनके निजी विचार हैं)  

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com