जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. देश के किसी भी हिस्से में रविवार को चाँद नहीं दिखाई दिया. इसलिए ईद-उल-फितर का त्यौहार तीन मई यानी मंगलवार को मनाया जायेगा. ईद-उल-फितर मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. तीस रोजों के बाद यह अल्लाह का रोजेदारों को तोहफा है.
ईद-उल-फितर यानी वह ईद जिसमें फितरा निकाला जाता है. ईद के दिन हर मुसलमान के लिए यह ज़रूरी है कि ईद की नमाज़ पर जाने से पहले वह फितरा निकाले. फितरा एक आदमी पर तीन किलो आटे की कीमत होती है. इस कीमत को किसी गरीब के घर तक पहुंचाने के बाद ही ईद की नमाज़ के लिए जाया जा सकता है. अल्लाह ने ईद पर मुसलमानों के लिए यह टैक्स ज़रूरी किया है ताकि उससे हर गरीब ईद की खुशियाँ मना सके.
ईद का त्यौहार 29 या 30 रोजों के बाद होता है. यह चाँद पर निर्भर होता है. 29 को अगर चाँद नहीं हुआ तो 30 रोजों के बाद ईद मनाई जाती है. रविवार को भारत के किसी भी हिस्से में चाँद नहीं दिखाई दिया. शिया और सुन्नी चाँद कमेटियों ने रविवार की शाम को यह एलान भी किया कि लखनऊ समेत देश के किसी भी हिस्से में चाँद नहीं दिखाई दिया लिहाज़ा ईद मंगलवार तीन मई को मनाई जायेगी.
ईद की नमाज़ यूं तो शहर की सभी मस्जिदों में पढ़ी जाती है लेकिन ऐशबाग ईदगाह और आसिफी मस्जिद में नमाज़ पढ़ने वालों की तादाद सबसे ज्यादा होती है. ऐशबाग ईदगाह में सुन्नी मुसलमान नमाज़ अदा करते हैं और आसिफी मस्जिद में शिया मुसलमान नमाज़ आदा करते हैं.