जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। भीषण गर्मी में लोगों को हीट वेव के प्रकोप से बचाने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश में बचाव एवं राहत की तैयारी व कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।
इसके अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्त निर्देशों का अनुपालन करते हुए कार्ययोजना को प्रभावी ढंग से लागू करने को कहा गया है।
इसी क्रम में नगर विकास विभाग की ओर से हीट वेव के साथ ही इसके कारण उत्पन्न होने वाले रोगों एवं कुप्रभावों के प्रबंधन के लिए कार्ययोजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि प्रदेश में हीट वेव से बचाव के लिए राज्य,जनपद और निकाय स्तर पर नोडल अधिकारी नामित किया जाए। इसके साथ ही वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से जनपद एवं निकाय स्तर पर हीट वेव को मॉनीटर किया जाए। हीट वेव के समय क्या करें व क्या न करें के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए तो वहीं हीट वेव के दुष्प्रभाव के संबंध में मोबाइल मेसेज/वाट्सएप के माध्यम से चेतावनी जारी हो।
इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों एवं आंगनबाडी केंद्रों पर ओआरएस पैकेट की समुचित व्यवस्था की जाए। तीव्र गर्मी से बचाव के लिए विद्यालय, श्रमिकों एवं कामगारों के कार्य घंटों में परिवर्तन किए जाएं और साथ ही सनस्ट्रोक से होने वाली मृत्यु से बचाव के लिए दिशा-निर्देश निर्गत किए जाएं।
सार्वजनिक स्थलों पर एनजीओ की मदद से पानी और छाछ की हो व्यवस्था
निर्देशों में ये भी कहा गया है कि मंदिरों, लोक भवन, मॉल को कूलिंग सेंटर के रूप में चिन्हित किया जाए। लोक स्थानों (सार्वजनिक स्थानों) पर एनजीओ, सामुदायिक समूहों, वैयक्तिक रूप से पानी एवं छाछ की व्यवस्था की जाए। नगरीय निकायों में गर्मी से बचाव के लिए शेल्टर्स की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
अत्यधिक तापमान की स्थितियों में हीट वेव से बचाव के लिए सभी आवश्यक उपायों का जनमानस में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। हीट रिलेटेड इलनेसेज के बचाव एवं उपचार के संबंध में जनमानस में जन जागरूकता अभियान चलाया जाय।
व्यस्त स्थानों पर मौसम के पूर्वानुमान तथा तापमान का डिस्प्ले किया जाए। इसके साथ ही, नगरीय निकायों में पेयजलापूर्ति के लिए विशेष अभियान चलाकर समस्त नलकूप चालू हालत में रखे जाएं तथा बंद पडे नलकूपों को ठीक कराकर चालू किया जाए।
नलकूपों की मुख्य पाइपलाइनों से बस्तियों में आपूर्ति होने वाली पाइपलाइनों की टूट-फूट की मरम्मत एवं जल रिसाव के स्थानों को चिन्हित करते हुए उनकी मरम्मत कराई जाए ताकि बस्तियों में स्वच्छ जल की आपूर्ति हो सके।
पेयजल की गुणवत्ता का रखा जाएगा पूरा ध्यान
इसके साथ ही, समय-समय पर जल शुद्धिकरण हेतु क्लोरीनीकरण कराया जाए। पेयजल की गुणवत्ता के अनुश्रवण के लिए यूजर एंड प्वॉइंट (उपभोक्ता द्वारा उपयोग प्वॉइंट) पर जल के नमूने एकत्र कर उनका नियमित रूप से बैक्टीरियोलॉजिकल, वायरोलॉजिकल जॉच कराई जाए।
जिन क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई हैण्डपंप से हो रही है, उन इलाकों में आवश्यकता के अनुसार क्लोरीन के टेबलेट का उचित मात्रा में वितरण कराया जाए। जिन क्षेत्रों में पेयजल बाधित हो, वहां पर टैंकर के माध्यम से पेयजल आपूर्ति कराई जाए।
नगरीय क्षेत्र में सीवर लाइन तथा पानी की पाइप लाइन की चेकिंग की जाए, यदि कहीं सीवर अथवा पानी की पाइप लाइन में ब्रेकेज अथवा लीकेज पाई जाती है, तो उसे तत्काल सही किया जाए। लीकेज के सही होने तक संबंधित क्षेत्र में सुरक्षित पेयजल आपूर्ति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके अतिरिक्त पशुओं के लिए आश्रय स्थलों पर समुचित बेटनरी मेडिसिन एवं पीने के लिए पेय जल की समुचित व्यवस्था किया जाए।
ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण को दी जाए प्राथमिकता
बस स्टैंड एवं टर्मिनल्स पर छाया एवं पेयजल की व्यवस्था की जाए। मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर आए दर्शनार्थियों के लिए पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित हो। शहर,कस्पों, स्लम बस्तियों जिनका हीट वेव से ज्यादा प्रभावित होने की संभावना हो को चिह्नित किया जाए तथा वहीं पर पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित हो। खुले पार्की में छाया की समुचित व्यवस्था की जाए। सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जाए। शहरी क्षेत्रों में नई इमारतों के निर्माण के लिए समुचित योजना तैयार की जाए। इनवायरमेंट एवं बिल्डिंग कोड का पालन करते हुए ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कार्य कराया जाए।