अविनाश भदौरिया
चुनाव का मौसम है और वादों की बहार है। नेताओं के भाषण हैं और जनता को बदलाव की आस है। हर बार की तरह इस बार भी वही पुरानी पिक्चर है बस पैकेजिंग नई-नई है। दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक पहले बड़ा चुनावी वादा किया है। उन्होंने न्यूनतम आय गारंटी योजना का वादा किया और कहा कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये मिलेंगे।
राहुल गांधी के इस वादे को सुनते ही पिछले लोकसभा चुनाव की याद आ जाना लाजिमी है। उस समय सत्ता में कांग्रेस थी और तात्कालिक पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने एक वादा किया था कि, उनकी सरकार आई तो विदेशों में जमा काला धन वापस लाया जाएगा और हर गरीब के खाते में 15-15 लाख रुपये होंगे।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पिछले चुनाव में बीजेपी की जीत में 15 लाख वाले वादे की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी के इसी बयान को लेकर कांग्रेस ने भी कई बार मोदी सरकार को घेरा है, इतना ही नहीं कांग्रेस के नेताओं ने इसी बयान को लेकर बीजेपी को भारतीय जुमला पार्टी और मोदी को जुमलेबाज भी साबित करने की कोशिश की।
फ़िलहाल कांग्रेस को मौका मिला तो उसने झूठे वादों के खिलाफ आवाज बुलंद की क्योंकि पूरे पांच साल बीत जाने के बाद ना तो मोदी सरकार काले धन के नाम पर कोई सार्थक पहल कर पाई है और ना ही गरीबों की आय बढ़ा पाई है। अब जब सरकार बीजेपी की है तो कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा न्यूनतम आय गारंटी योजना का वादा सिर्फ सत्ता पाने के लिए एक जुमला है या वाकई वो ऐसा करने का सोच रहे हैं यह एक बड़ा प्रश्न है, क्योंकि इस चुनावी मौसम में अक्सर नेताओं के वादों और आश्वासन में जनता ठगी जाती है इसलिए किसी भी नेता की बात पर भरोसा करना अब मुश्किल हो गया है।
राहुल गांधी का बयान नोट कर लीजिए, सवाल करने पड़ सकते हैं
राहुल गांधी ने कहा कि पांच साल तक मोदी सरकार में गरीब दुखी रहे, अब हम उन्हें न्याय देंगे. राहुल गांधी ने कहा कि हमने मनरेगा कमिट किया था और अब आय गारंटी देकर दिखा देंगे. हम गरीबी मिटा देंगे। राहुल गांधी ने कहा कि कहा, हम 12000 रुपये महीने की आय वाले परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी देंगे। कांग्रेस गारंटी देती है कि वह देश में 20 फीसदी सबसे गरीब परिवारों में से प्रत्येक को हर साल 72000 रुपये देगी। यह पैसा उनके बैंक खाते में सीधा डाल दिया जाएगा। हमने निर्णय लिया और हम हिंदुस्तान के लोगों को न्याय देने जा रहे हैं। यह न्याय न्यूनतम आय गारंटी है। ऐसी योजना दुनिया में कहीं नहीं है।
हर चुनाव में उठता है किसान, गरीब, रोजगार और महिलाओं का मुद्दा
आजादी के 72 साल बाद भी देश में ना तो गरीबी दूर हुई, ना ही किसानों की आत्महत्या रुकीं, ना ही युवाओं को रोजगार मिल सका और ना ही महिलाओं को सुरक्षित होने का फील मिल सका जबकि हर एक चुनाव में सभी दलों और नेताओं के मुखारबिंद पर यही रटे-रटाए नारे, भाषण और वादे होते हैं। सच तो यह है कि अमीर और अमीर हुआ है और गरीब पहले से भी ज्यादा मजबूर हुआ है। सोचने की बात यह है कि क्या वास्तव में हमारे समाज के नेतृत्वकर्ताओं में देश की मूल समस्याओं को दूर करने की इच्छाशक्ति भी है या फिर वो सिर्फ झूठ के बल पर लूट का खेल खेल रहे हैं।