न्यूज डेस्क
राष्ट्रपति भवन में गुरुवार को पीएम मोदी की महफिल में पीएम मोदी समेत उनके मंत्रिमंडल पर सबकी निगाहें लगी थी। मंत्रियों से लेकर नई सरकार की चर्चा हर तरफ थी। शानदार महफिल और दावत लोगों के आकर्षण का केन्द्र था। यह महफिल तो पीएम मोदी की थी लेकिन इसे लूट के ले गए ‘ओडिशा के मोदी’।
बीजेपी के टिकट पर ओडिशा के बालासोर संसदीय सीट से करोड़पति उम्मीदवार को हराने वाले सांसद प्रताप चंद्र सारंगी जब मंच पर मंत्री पद की शपथ लेने आए तो दर्शक दीर्घा से जोरदार तालिया बजी। सांरगी के लिए जितनी तालिया बजी उतनी मोदी और शाह के लिए भी नहीं बजी।
प्रताप चंद्र सारंगी को लोग ‘ओडिशा का मोदी’ बुलाते हैं। उनकी जिंदगी और उनकी जीवनशैली की तुलना लोग पीएम मोदी से करते हैं।
सन्यासी की तरह जीवन जीने वाले प्रताप चंद्र सारंगी किसी परिचय के मोहताज नहीं है। समाज सेवा के लिए जाने जाने वाले सारंगी को मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने सबको चौका दिया।
मंत्री पद के लिए जब सांरगी के नाम की घोषणा हुई तो एक बार सभी चौक गए। 58 मंत्रियों में उनका नंबर 56वां था। जब 56 नंबर पर प्रताप चंद्र सारंगी शपथ लेने के लिए उठे तो पूरे राष्ट्रपति भवन में इतनी तालियां बजीं जो अखबारों की सुर्खियां बन गईं।
एक भी पैसा चुनाव में नहीं किया खर्च
सांरगी पूरे चुनाव चर्चा में रहे थे। आज के दौर में जहां छात्रसंघ चुनाव लड़ने में भी लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं वहां देश की संसद में एक ऐसा सांसद भी पहुंचा है जो एक करोड़पति उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहा था लेकिन उसने बिना एक भी पैसा खर्च किए चुनाव जीत लिया। सारंगी साइकिल से ही पूरा चुनाव प्रचार किए।
ओडिशा में मिसाइल टेस्टिंग के लिए प्रसिद्ध बालासोर लोकसभा क्षेत्र से इस बार भाजपा प्रतापचंद्र सारंगी सांसद चुने गए हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी करोड़पति उम्मीदवार बीजद के रबिंद्र कुमार जेना को हराया। दावा है कि चुनाव में उन्होंने कुछ भी खर्च नहीं किया। जब वे संसद भवन पहुंचे तो उनसे मिलने को हर कोई उत्सुक था।
आज भी चलते हैं साइकिल से
64 वर्षीय सारंगी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। आज भी वह साइकिल ही चलाते हैं। उनकी पहचान सामाजिक सरोकार के कार्यों से है। वह अविवाहित हैं, एक छोटे से घर में रहते हैं और सन्यासियों की तरह जीवन व्यतीत करते हैं। बालासोर में सांसद चुने जाने के बाद सोशल मीडिया पर उनका नाम भी प्रमुखता से ट्रेंड करता रहा है।
रामकृष्ण मठ ने विधवा मां की सेवा के लिए उन्हें लौटाया
सांसद प्रतापचंद्र सारंगी का अध्यात्म के प्रति झुकाव बचपन से ही था। वह रामकृष्ण मठ में संन्यासी बनना चाहते थे। इसलिए कई बार पश्चिम बंगाल में हावड़ा स्थित बेलूर मठ में रह चुके हैं।
जब मठ के सन्यासियों से सारंगी ने सन्यासी बनने की इच्छा जताई तो उन्होंने उनके बारे में जानकारी हासिल की। मठ को पता चला कि सारंगी की मां जीवित हैं और विधवा हैं, तो उन्होंने सारंगी से आग्रह किया कि वह घर लौटकर मां की सेवा करें। इस पर सारंगी गांव लौट आए और मां के साथ समाज की भी सेवा करने लगे। उनकी मां का पिछले साल ही देहांत हुआ।
दो बार रह चुके हैं विधायक
4 जनवरी 1955 को बालासोर में नीलगिर के गोपीनाथपुर गांव में जन्मे प्रतापचंद्र सारंगी दो बार विधायक रह चुके हैं। नीलगिर विधानसभा क्षेत्र से 2004 और 2009 में वे विधायक चुने गए थे। सारंगी 2014 में लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। इस बार उन्होंने 2014 में चुनाव जीते बीजू जनता दल के रबिंद्र कुमार जेना को 12,956 वोटों से पराजित किया।
सारंगी को बनना चाहिए ओडिशा के मुख्यमंत्री
सारंगी के प्रशंसक चाहते हैं कि वह मुख्यमंत्री बने। बीते 24 मई को ट्विटर पर उनकी एक पोस्ट किसी यूजर ने शेयर की थी। इसे 3600 से अधिक बार री-ट्वीट किया जा चुका है।
कई यूजर्स ने लिखा कि सारंगी को ओडिशा का मुख्यमंत्री बनना चाहिए, क्योंकि उन्होंने जमीनी स्तर पर समाज सेवा के बहुत काम किए हैं। सारंगी बालासोर और मयूरभंज के आदिवासी बहुल गांवों में गण शिक्षा मंदिर योजना के तहत कई स्कूल संचालित करते हैं, जिन्हें सामर कारा केंद्र नाम दिया गया है।