Friday - 1 November 2024 - 8:58 PM

अखिलेश से यादव वोटरों को छीनने की बिसात बिछा रहे हैं मोदी

यशोदा श्रीवास्तव ‌

यूपी में पूर्व सीएम व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की घेराबंदी शुरू हो गई है। भाजपा ने जिस तरह उनपर जाल बिछाया है, उससे ऐसा भी मुमकिन है कि वे अपनी बिरादरी तक में अप्रासंगिक न हो जायं।

सोमवार को कानपुर में यादव कुलवंश की एक बड़ी सभा में उमड़ी प्रदेश भर के यादवों की भीड़ निश्चित ही अखिलेश को बेचैन की होगी।

विदेश से पढ़ कर राजनीति में कदम रखे युवा नेता मोहित यादव ने अपने बाबा स्व.हरमोहन सिंह यादव के श्रद्धांजलि सभा के जरिए स्वयं को यादवों के नेता के रूप में परिचित कराने की कोशिश की। इस सभा में पीएम मोदी को आना था लेकिन व्यस्तताओं के चलते वे नहीं आ सके। अलबत्ता उन्होंने इस विशाल जनसभा को वर्चुअली संबोधित किया। मोहित यादव के बाबा हरमोहन सिंह मुलायम सिंह के निकट के थे। वे लोकसभा के सदस्य भी थे।उनके पुत्र सुखराम यादव विधानपरिषद व राज्य सभा के सदस्य रहें हैं।

अब सुखराम यादव के पुत्र और स्व.हरमोहन सिंह के पौत्र मोहित यादव ने अपने खानदान के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में स्व.हरमोहन सिंह की राजनीति का आधार डा.लोहिया के समाजवाद से जोड़ कर सपा और अखिलेश यादव को आइना दिखाया है। मोदी ने मोहित यादव को आशीर्वाद देते हुए कहा कि निश्चित ही यह नौजवान पिछड़ों की राजनीति का रोल-मॉडल सिद्ध होगा।

जनजातीय महिला द्रोपदी मुर्मू का राष्ट्रपति चुना जाना हो या कानपुर में यादव कुलवंश की सभा, दरअसल इस सबके पीछे 2024 का लोकसभा चुनाव है जिसमें भाजपा अपने 80 बनाम 20 के फार्मूले पर आगे बढ़ रही है।

2022 के विधानसभा चुनाव में करीब 57 सीटों की हार से बीजेपी ने बड़ा सबक लिया है।यूपी में जो जातीय अंकगणित की राजनीतिक चलन था,वह और मजबूत हुआ है।विभिन्न जातियों में बंटे समाज के नेताओं को अपने पाले में करके भाजपा ने जातिय राजनीति को और बल दिया है।

पिछड़ी जातियों में यादव के बाद मुख्य रूप से मौर्य और निषाद संख्या बल के हिसाब से अधिक हैं। इन दो जातियों पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और संजय निषाद की इसमें अहम भूमिका है।

पूर्वी उत्तरप्रदेश के एक दर्जन जिलों में राजभर भी निर्णायक भूमिका में हैं जिसे देर सबेर ओमप्रकाश राजभर भाजपा के खेमे में लाने की भूमिका निभाएंगे ही। उनका एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनने का आधिकारिक ऐलान भर बाकी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जाट जयंत के साथ नहीं है। विधानसभा चुनाव में ऐसा देखने को मिला है। पटेल और चौहान भारी संख्या में भाजपा के ही साथ हैं। सवर्ण वोटरों के बाद पिछड़े वर्ग के वोटरों में पैठ बना लेना भाजपा की बड़ी कामयाबी है।पिछड़े वोटरों में अब सिर्फ यादव हैं जिन पर सपा मुखिया अखिलेश के वर्चस्व का दावा है। हालांकि उनके चाचा शिवपाल और अपर्णा यादव उनके इस दावे को ध्वस्त करने के लिए काफी हैं।

इधर योगी आदित्यनाथ ने यादवों पर पकड़ बनाने की रणनीति के तहत ही दिनेश लाल यादव निरहुआ को आम चुनाव हारने के बाद भी उप चुनाव में आजमगढ़ से फिर उम्मीदवार बनाया और जितवाया भी।

निरहुआ का आजमगढ़ ही नहीं बनारस, जौनपुर और गाजीपुर तक के यादवों पर अच्छा प्रभाव है। भाजपा ने हाल ही संपन्न स्थानीय निकाय से विधानपरिषद के चुनाव में पूर्वी उत्तरप्रदेश के असरदार युवा नेता सुभाष यदुवंश को विधानपरिषद का चुनाव जितवाकर इधर के चार पांच जिलों में अच्छा संदेश दिया है।

बनारस,बलिया सहित पूर्वी उत्तरप्रदेश के तमाम यादव सपा मुखिया के कार्यकलाप से छुब्ध हैं। उनका लगाव मुलायम सिंह यादव से है। बाप बेटे के तकरार से वे अब शिवपाल के साथ हैं। शिवपाल की भाजपा से नजदीकियां सरेआम है।

भाजपा ने पूर्वी उत्तरप्रदेश के यादवों पर पकड़ मजबूत करने के बाद मोहित यादव को आगे कर पश्चिमी यूपी के यादवों को साधने की तैयारी मुकम्मल कर ली है।

स्व.हरमोहन सिंह अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष रहे हैं। कहना न होगा कि स्व.हरमोहन ने मुलायम सिंह यादव के साथ जिस तरह यादवों को जोड़ने की भूमिका निभाई थी,बहुत संभव है उनके पौत्र मोहित यादव उसी वेग से यादवों को अखिलेश से तोड़ने में कामयाब हों। यादवों को लेकर भाजपा की रणनीति पर सपा के ही एक वरिष्ठ नेता की टिप्पणी दिलचस्प है कि कहीं अखिलेश को अपनी बिरादरी के नेतृत्व से ही न महरूम होना पड़ जाय।

ये भी पढ़ें-करगिल विजय दिवस पर बोले PM मोदी- साहसी सपूतों को शत-शत नमन

ये भी पढ़ें-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हुआ कोरोना, पॉजिटिव आई कोविड टेस्ट की रिपोर्ट

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com