राजेन्द्र कुमार
अब बीजेपी पूरी तरह से मोदीमय हो चुकी है। इस न्यू बीजेपी में सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ही सब कुछ हैं।
इन्ही दो लोगों के दिशा निर्देश में बीजेपी ये चुनाव लड़ रही है। पार्टी के हर मामले में इनकी ही रजामंदी के बाद फैसला होता है।
पार्टी के जिस भी वरिष्ठ नेता को ये जो कहते हैं, वह वही करता है। अपने मन से तो कोई कोई नेता या मंत्री ना बयान देता है और ना ही ब्लॉग लिखता है। पार्टी पर ऐसी इस्पाती पकड़ के चलते ही अब बीजेपी के संस्थापक नेताओं को पार्टी के कार्यक्रमों से गायब करने का सिलसिला शुरु हो गया है। ताकि पार्टी में अब पुराने नेताओं के बजाए वर्तमान ताकतवर नेताओं का जिक्र हो।
न्यू बीजेपी के ताकतवर नेताओं की इस सोच की झलक दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में आज दिखी। जहां बीजेपी का घोषणापत्र जारी किया जा रहा था, पार्टी के इस बड़े और महत्वपूर्ण आयोजन में अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तस्वीर मंच से गायब थी।
पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं के बीच जब घोषणापत्र जारी हुआ तो मंच पर पीएम मोदी, अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली सहित कई नेता मौजूद थे। लेकिन पार्टी के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी इस दौरान मंच पर नहीं थे। ये दोनों नेता दिल्ली में थे।
बीजेपी के इतिहास में शायद यह पहला मौका था, जब लोकसभा चुनाव के लिए जारी होने वाले घोषणापत्र में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी मौजूद नहीं थे। वर्ष 2014 में जारी हुआ बीजेपी का घोषणापत्र, डॉ. मुरली मनोहर जोशी की ही अगुवाई में बना था। उसमें अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर की फोटो भी थी।
अटल-आडवाणी ने ही मिलकर बीजेपी की स्थापना की थी। कभी दो सीटें जीतने वाली बीजेपी को यहां तक पहुंचाने में लालकृष्ण आडवाणी की संगठन क्षमता और रणनीति का बड़ा बयान योगदान रहा है तो दूसरी अटल बिहारी वाजपेयी अपने भाषणों की वजह से सबसे लोकप्रिय नेता बन गए थे। इसके बाद तीसरी धरोहर के रूप में मुरली मनोहर जोशी का नाम आता था। वह भी पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं।
कभी इन तीन नेताओं की वजह से बीजेपी जानी जाती थी और बीजेपी के कार्यकर्ता नारा भी लगाते थे, ‘भारत मां के तीन धरोहर, अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर’। लेकिन आज जब बीजेपी का घोषणापत्र या संकल्प पत्र जारी हुआ तो पार्टी मुख्यालय में किसी ने भी अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर का जिक्र तक अपने संबोधन में नहीं किया।
क्योंकि अब सब जान गए है कि मोदीमय बीजेपी में अब अटल-आडवाणी और जोशी की नहीं मोदी और शाह की जयकार करना ही हितकर है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं।)