जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. परिवार नियोजन से सम्बंधित एक याचिका मामले में केन्द्र सरकार ने देश की शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि वह किसी को भी दो बच्चे पैदा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती. सरकार ने कहा है कि जिन देशों ने बच्चे पैदा करने की बाध्यता को लेकर क़ानून बनाया है उनका नुक्सान ही हुआ है. ऐसा किया जाएगा तो पुरुष और महिला आबादी में बैलेंस बनाना मुश्किल हो जाएगा.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर देश में बढ़ती जनसँख्या को लेकर चिंता जताई गई थी. याचिका में कहा गया कि हर दम्पति को सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की इजाजत ही दी जाए.
इस याचिका के जवाब में केन्द्र सरकार ने जो हलफनामा दिया है उसमें कहा है कि लोग खुद ही दो बच्चो का परिवार चाहते हैं. भारत में लोगों को परिवार नियोजन के लिए अपने हालात और ज़रूरत के हिसाब से परिवार को नियंत्रित करने की छूट दी गई है. इस नियम को जबरन किसी पर थोपा नहीं जा सकता.
भारत को आत्मनिर्भर व सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना ही एकमात्र विकल्प है I मेरे अनुसार, अगर भारतवर्ष को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नजरिये के अनुसार आत्मनिर्भर व सर्वश्रेष्ठ बनना है तो जनसँख्या विस्फोट को तत्काल प्रभाव से रोकना होगा I pic.twitter.com/7b6tRKTdg3
— Dr Anil Agrawal (@AnilagrwalMPBJP) August 9, 2020
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका इसलिए दायर की गई थी क्योंकि अयोध्या में राम मन्दिर के शिलान्यास के फौरान बाद देश में यह मांग उठने लगी थी कि सरकार क़ानून बनाकर यह तय कर दे कि अब कोई भी दो से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर पायेगा.
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बीजेपी सांसद डॉ. अनिल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया कि संसद के अगले सत्र में जनसँख्या नियंत्रण विधेयक पेश किया जाए.