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मोदी सरकार ने कहा, दो बच्चो के क़ानून से देश के सामने आयेगी ये बड़ी दिक्कत

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली. परिवार नियोजन से सम्बंधित एक याचिका मामले में केन्द्र सरकार ने देश की शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि वह किसी को भी दो बच्चे पैदा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती. सरकार ने कहा है कि जिन देशों ने बच्चे पैदा करने की बाध्यता को लेकर क़ानून बनाया है उनका नुक्सान ही हुआ है. ऐसा किया जाएगा तो पुरुष और महिला आबादी में बैलेंस बनाना मुश्किल हो जाएगा.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर देश में बढ़ती जनसँख्या को लेकर चिंता जताई गई थी. याचिका में कहा गया कि हर दम्पति को सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की इजाजत ही दी जाए.

 

इस याचिका के जवाब में केन्द्र सरकार ने जो हलफनामा दिया है उसमें कहा है कि लोग खुद ही दो बच्चो का परिवार चाहते हैं. भारत में लोगों को परिवार नियोजन के लिए अपने हालात और ज़रूरत के हिसाब से परिवार को नियंत्रित करने की छूट दी गई है. इस नियम को जबरन किसी पर थोपा नहीं जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका इसलिए दायर की गई थी क्योंकि अयोध्या में राम मन्दिर के शिलान्यास के फौरान बाद देश में यह मांग उठने लगी थी कि सरकार क़ानून बनाकर यह तय कर दे कि अब कोई भी दो से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर पायेगा.

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बीजेपी सांसद डॉ. अनिल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया कि संसद के अगले सत्र में जनसँख्या नियंत्रण विधेयक पेश किया जाए.

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