जुबिली न्यूज डेस्क
21 अक्टबर को भारत ने एक अरब वैक्सीनेशन का आंकड़ा पार कर लिया। भारत के लिए यह ऐतिहासिक क्षण था। इस मौके पर डब्ल्यूएचओ ने भारत की तारीफ की तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी जनता को बधाई दी।
मोदी ने इसे भारत के विज्ञान और लोगों के सहयोग की विजय बताया। इसको लेकर केंद्र सरकार देशभर में उत्सव मना रही है।
इस मौके पर मोदी सरकार द्वारा एक “वैक्सीन गान” भी जारी किया गया है, जोकि पीएम मोदी के एक भाषण के एक ऑडियो से प्रेरित है, जिसमें भारत को वैक्सीन के लिए किसी अन्य देश पर निर्भर नहीं होने की बात कही गई है।
इस तीन मिनट के ऑडियो में गायक-संगीतकार कैलाश खेर ने अपनी आवाज दी है। पीएम द्वारा वैक्सीन को लेकर किसी और देश पर निर्भर ना होने की बात पर केंद्र सरकार अपनी पीठ भी थपथपा रहा है, लेकिन इस पर कुछ सवाल भी खड़े होते हैं।
दरअसल कोरोना टीकाकरण अभियान के दौरान भारत में कुल 6 वैक्सीन को मंजूरी मिली है, लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के जरिए निर्मित ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड और स्वदेश में विकसित कोवैक्सीन पर ही यह अभियान टिका हुआ है।
लोगों का कहना है कि, प्रधानमंत्री मोदी की ‘वैक्सीन को लेकर किसी दूसरे देश पर निर्भर ना होने की बात’ तब ठीक होती, यदि वे केवल वैक्सीन उत्पादन की बात करते।
बताते चलें कि रूस की स्पुतनिक-वी टीके की अपेक्षाकृत 1 मिलियन खुराक को छोड़कर, अन्य सभी का उत्पादन भारत में किया गया है।
एक वैक्सीन से जुड़े शोधकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा ” कोविड-19 के टीके पूरी तरह से स्वदेशी हैं, यह कहना अनुचित होगा।”
वैज्ञानिक ने कहा कि हो सकता है कि प्रधानमंत्री के शब्द संभवत: सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा कोविशील्ड के बड़े पैमाने पर घरेलू उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और कोवैक्सीन को विकसित करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और भारत बायोटेक द्वारा किए गए शोध को लेकर हों।
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100 करोड़ डोज के बीच एक आंकड़ा यह भी
भारत में कोरोना के टीकों की संख्या भले ही 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई हो लेकिन देश में अभी तक सिर्फ 21 फीसदी ही ऐसे लोग हैं, जिन्हें कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी है।
बता दें कि ब्लूमबर्ग के वैक्सीन ट्रैकर से मिले आंकड़ों के अनुसार भारत में 21 अक्टूबर तक देश में 51.2 प्रतिशत लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई। वहीं दोनों डोज लेने वालों की संख्या 21 फीसदी है।
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