न्यूज डेस्क
मोदी सरकार ने नौकरशाही को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए नई मुहिम छेड़ दी है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने केंद्र सरकार के सभी विभागों से खर्चीले और भ्रष्ट अधिकारियों की सूची मुहैया कराते रहने को कहा है, ताकि व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाया जा सके।
हाल के दिनों में आयकर विभाग से लेकर तमाम अन्य विभागों के भ्रष्ट और संदिग्ध चरित्र वाले अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है। हालांकि सख्त कार्रवाई के बावजूद भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें बढ़ती ही जा रही हैं। पीएमओ ने यह भी देखा है कि पहले जिन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं, उनके खिलाफ न सिर्फ शिकायतों में वृद्धि हुई है, बल्कि उनका रैंक भी बढ़ता गया है।
सख्ती के बाद भी हालात में ज्यादा बदलाव होते नहीं देख संदिग्ध रिकॉर्ड वाले कम से कम 1007 अधिकारियों की छानबीन की जा रही है। सभी विभागों के सतर्कता इकाइयों को सक्रिय कर दिया गया है। 21 आइएएस और समूह ‘क’ के नौ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच की जा रही है।
इसके अलावा समूह ‘ख’ और ‘ग’ के 1,815 अधिकारियों के खिलाफ जांच तेज कर दी गई है। रेल मंत्रलय के 14, कोयला मंत्रलय के 12 और उड्डयन मंत्रलय के छह अधिकारियों के साथ ही जहाजरानी मंत्रलय के कई अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के एफआर 56 (जे) नियम के तहत बाहर का रास्ता दिखाने के लिए जांच चल रही है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) की जांच समिति की इस महीने के तीसरे हफ्ते में इस तरह के और अधिकारियों के नाम तय करने के लिए बैठक होने वाली है। 600 से ज्यादा केंद्रीय स्वायत्त निकायों को भी इस तरह की समीक्षा करने के सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।
केंद्र सरकार के करीब 100 भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) चार महीने से भी ज्यादा समय से मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इन भ्रष्ट अफसरों में आइएएस अधिकारियों के साथ-साथ सीबीआइ और ईडी से जुड़े अधिकारी भी शामिल हैं।
सीवीसी के आंकड़ों के मुताबिक, भ्रष्टाचार के इन 51 मामलों में 97 अधिकारी संलिप्त हैं। सबसे ज्यादा आठ-आठ अधिकारी कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (भ्रष्टाचार निरोधी मामलों में नोडल अथॉरिटी) और कॉरपोरेशन बैंक के हैं। भ्रष्टाचार के छह मामलों की मंजूरी उत्तर प्रदेश सरकार के समक्ष लंबित है।