जुबिली न्यूज़ डेस्क
केंद्र सरकार कर्मचारियों और मजदूरों की सैलरी को लेकर एक नया नियम बनाने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चाहते हैं कि यह कानून जल्द तैयार होकर पास हो जाए।
मोदी सरकार अब वन नेशन, वन पे डे’ की योजना बना रही है, केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने जानकारी देते कहा कि देश में सैलरी को लेकर एक जैसी व्यवस्था लागू होनी चाहिए। इससे हर सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों और मजदूरों को एक दिन ही सैलरी मिलेगी।
श्रम मंत्री ने बताया कि सरकार व्यावसायिक सुरक्षा, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड, कोड ऑन वेजेज आदि को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसके अलावा सरकार यूनिफॉर्म मिनिमम वेज प्रोग्राम को भी लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इससे मजदूरों की जिंदगी में बदलाव आएगा।
बता दें कि ‘वन नेशन, वन पे डे’ के लागू होने के बाद संगठित क्षेत्र के सभी कर्मचारियों को एक ही दिन सैलरी मिलेगी। अभी तक सैलरी मिलने का कोई सिस्टम तय नहीं है। वर्तमान में कंपनियां या संस्था अपने कर्मचारियों को सुविधा के हिसाब से महीने के किसी भी दिन सैलरी दे देती हैं। अधिकतर कर्मचारियों को महीने की 30 या 31 तारीख के अलावा 7 और 15 तारीख को सैलरी मिलती है।
नौकरियों पर गहरा सकता है संकट
हाल ही में आई एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि आने वाले 4 सालों में देश में नौकरियों पर संकट गहरा सकता है और इसमें 33 फीसदी गिरावट हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में नई नौकरियों कम पैदा होंगी और इसकी वजह मशीनीकरण (ऑटोमेशन) को बताया जा रहा है। बीते दिनों मीडिया में टीमलीज सेवा के हवाले से एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें बताया गया था कि ई-कॉमर्स, बैंकिंग, फाइनेशियल सर्विस, इंश्योरेंस और बीपीओ-आईटी सेक्टर की नौकरियों में साल 2019-23 के बीच 37% की गिरावट आ सकती है। यह गिरावट 2018-22 की अनुमानित आंकड़ों से भी नीचे है।
रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया था कि मार्केटिंग, एडवरटाइजिंग, कृषि, एग्रोकेमिकल, टेलीकम्यूनिकेशंस, बीपीओ, आईटी, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल जैसे अहम क्षेत्रों में भी नौकरियों की कमी हो सकती है। बीते दिनों में ऑटो सेक्टर, मोबाइल सेक्टर समेत कई सेक्टरों को लेकर बुरी खबर आई थी। हालात यह है कि ऑटो सेक्टरो में 10 लाख नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। ऑटो सेक्टर की कई बड़ी कंपनियों ने बीते दिनों काम बंद करने की घोषणा की थी। जिसमें मारुति सुजुकी, अशोक लेलैंड जैसी बड़ी कंपनियां थी।
अगर मोबाइल सेक्टर की बात करे तो बीते दो सालों में इस सेक्टर में काम करने वाले 2,50,000 से अधिक लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। बता दें कि पिछले 45 दिनों में बेरोजगारी चरम पर है। यह आकंड़ा नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे से सामने आया था। रिपोर्ट के मुबाबिक बताया गया था कि कि देश में बेरोजगारी का आंकड़ा 1972-73 के बाद के अधिकतम स्तर पर पहुंच चुका है।
यह भी पढ़ें : DDCA के अध्यक्ष पद से रजत शर्मा का इस्तीफा, लिखा- समझौता करने के लिए तैयार नहीं
यह भी पढ़ें : Marriage लॉन में होती चोरियों की हैरान कर देने वाली सच्चाई