जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: जाति जनगणना को लेकर लंबे समय से चल रही बहस और विपक्ष के दबाव के बीच केंद्र की मोदी सरकार अब इस दिशा में नरम होती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब जाति आधारित जनगणना कराने पर विचार कर रही है और इसके लिए नीति आयोग तथा गृह मंत्रालय के स्तर पर तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं।
जातिगत जनगणना की माँग बीते कई वर्षों से तेज़ होती जा रही थी, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से। विपक्षी दलों ने इसे सामाजिक न्याय से जोड़ते हुए एक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बना दिया था।
हाल ही में बिहार में जातीय सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक किए गए, जिसके बाद देशभर में इस पर बहस और तेज़ हो गई। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाया कि वह भी राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराए।
अब मोदी सरकार का रुख बदलता दिख रहा है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह जनगणना 2026 में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन भी किया जा सकता है।
जातिगत जनगणना का सीधा असर राजनीतिक समीकरणों और आरक्षण नीति पर पड़ सकता है। इससे यह तय करने में मदद मिलेगी कि किन जातियों को वास्तव में सामाजिक-आर्थिक रूप से अधिक सहायता की आवश्यकता है।
जाति जनगणना को लेकर मोदी सरकार का रुख बदलना देश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। इससे सामाजिक न्याय के पक्षधर दलों को बल मिलेगा, वहीं केंद्र सरकार को आगामी चुनावों से पहले नई रणनीति तैयार करने में मदद मिल सकती है।