न्यूज़ डेस्क
केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ लेटरल एंट्री के जरिये प्राइवेट सेक्टर के विशेषज्ञों की तैनाती कर रही है। वहीं, दूसरी तरफ लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ़ कड़ी कारवाई करने से पीछे नहीं हट रहे है। केंद्र में नई सरकार बनने के बाद से मोदी सरकार लगातार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने में पीछे नहीं हट रही है।
इस बार केंद्र सरकार ने केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर व कस्टम बोर्ड के 15 बड़े अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है। इन सभी अधिकारियों पर पद में रहते हुए नियमावली के खिलाफ कार्य करने का दोषी पाया गया था। सरकार ने इन सभी की जांच कराने के बाद ऐसा करने का निर्णय लिया है।
यह अधिकारी हैं शामिल
केंद्र सरकार ने जिन अधिकारियों को पदमुक्त करने का आदेश दिया है वो प्रमुख आयुक्त, आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त और उपआयुक्त के पद पर तैनात हैं। वित्त मंत्रालय ने नियम 56 के तहत ऐसा किया है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के सूत्रों के जरिए यह जानकारी दी है।
बता दें की इससे पहले वित्त मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के आरोप में लिप्त 12 वरिष्ठ अफसरों को अनिवार्य तौर पर रिटायर कर दिया है। इसमें आयकर विभाग के चीफ कमिश्नर के साथ-साथ प्रिंसिपल कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात रहे अधिकारी भी शामिल हैं। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत किया गया था।
क्या है नियम 56
वित्त मंत्रालय के नियम 56 के तहत सरकार उन अधिकारियों को जो 50 से 55 की उम्र के है और 30 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके है उन्हें अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जा सकता है। बता दें कि जनता के हित के लिए सरकारी विभाग से अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट देने का नियम काफी समय पहले ही वजूद में आ गया था। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने सबसे पहले इस नियम का इस्तेमाल करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिया है।